सहनशीलता सद्गुणों की जननी-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*सहनशीलता सद्गुणों की जननी-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कान्तिलाल मांडोत
सायरा 22 जुलाई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए महावीर गोशाला उ मरणा स्थित स्थानक भवन में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि सहनशीलता सद्गुणों की जननी है।सहनशीलता सत्य का जीता जागता उदाहरण है कि आज के दौर में सभी को गुजरना पड़ रहा है।सहनशीलता से व्यक्ति अपने कर्तव्य पर अडिग रहता है।सहनशीलता से जीवन मे दुःख की पीड़ा नही झेलनी पड़ती है।आज के समय मे हम देख रहे है। कि क्रोधित व्यक्ति परिवार समाज मे कैसा अनर्थ कर बैठता है।सहनशीलता एक गुण है।जिससे अपने जीवन में विकास होता है।सहनशील व्यक्ति समाज और परिवार में सम्मान पाता है।आज के दौर में तनाव हावी है।इससे हम थोड़े से तनाव से घबरा जाते है।जिसके जीवन मे लड़ाई झगड़े मारपीट और गाली गलौज तक नही निकलता है,वह सहनशील व्यक्ति है।उनके जीवन में कभी अपयश नही आता है।संत ने कहा जीवन मे सहनशीलता का कितना बड़ा महत्व है।अहंकार और क्रोध के कारण मनुष्य मनुष्य नही रहकर हैवानियत पर आ जाता है।मुनि ने कहा कि समाज मे हम देख रहे है कि सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति व्यक्ति के खून का प्यासा बन जाता है।जिनेन्द्रमुनि ने कहा कि हम स्वयं सहनशील बने,जिससे हमारे जीवन मे कष्ट और कलेश का कोई स्थान नही रहे।रीतेश मुनि मसा ने कहा कि हिंसा नही करनी चाहिए।मन मे उठने वाले भाव भी भाव हिंसा की श्रेणी में आता है।अहिंसा का अर्थ हिंसा नही करना है।अनंत ज्ञानियों के हदय कोष में सभी जीवो के सुख एवम कल्याण के लिए अहिंसा की अमृतमयी दृष्टि हुई है।स्थानक भवन में ओगणा चितौड़गढ़ फलासिया आदि के श्रावकों ने सन्तो का दर्शन लाभ लिया और प्रवचन का लाभ उठाया।

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