संत और सरिता को बहते रहना चाहिए-जिनेन्द्रमुनि
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*संत और सरिता को बहते रहना चाहिए-जिनेन्द्रमुनि महाराज साहब*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 16 नवम्बर
श्री वर्धमान स्थानक वासी जैनश्रावक संघ के तत्वाधान में आज वर्षावास परिवर्तन कार्यक्रम में जिनेन्द्रमुनि मसा ने फरमाया की सन्त और सरिता को बहते रहना चाहिए।जिस प्रकार निर्झर भरा है,नदी बहती है तो उसका जल सदैव निर्मल बना रहता है।उस जल में न काई जमती है,न कीड़े पैदा होते है।साधु भी इस प्रकार समय समय पर विचरण करता रहे तो वह अपने संयम दोष से बच जाता है।सज्जनों का लाभ समाज और राष्ट्र में सभी को प्राप्त हो,इसके लिए उनका विचरण आवश्यक है।
उमरणा में चातुर्मास परिवर्तन के समय जिनेन्द्रमुनि ने कहा कि संत और सरिता एक जगह नही रहते है।मुनि ने कहा कि चातुर्मास की पूर्ण होते ही संतो को उस जगह को छोड़ना ही पड़ता है।यह महावीर की परंपरा रही है।मुनि ने कहा संतो ने धर्म की महिमा को दूर दूर पहुंचाया है।स्थानक भवन में चार महीने तक श्रावक श्राविकाओं ने प्रवचन श्रवण कर आत्मकल्याण की तरफ उन्मुक्त होने का मार्ग प्रशस्त किया।संत सांसारिक तापो की ज्वाला को कम करने के लिए लोगो को ज्ञान के द्वारा कल्याण करने की प्रेरणा देते है।संतो ने आध्यात्मिकता के अमृत से संसार को जीवन दिया है।मुनि ने कहा कि जिस प्रकार सिंधु का जल बिंदु से संबंध है,वैसा ही समाज एवं साधु का सम्बब्ध है।जहाँ साधु है,वहां समाज सदैव आदर्श का अनुसरण करता है।संत समाज की संस्कृति को उन्नत बनाता है।समाज का कर्तव्य है कि वह त्यागी साधुओ का निर्माण करता रहे।मुनि ने कहा साधु कल्पवृक्ष है।कल्पवृक्ष का तातपर्य है कि ऐसा वृक्ष,जिसके नीचे जाकर जो कल्पना करो वह तत्काल पूरी हो जाती है।संत समाज की भावना को समझकर ही देता है।रितेश मुनि ने कहा राष्ट्र एवं समाज हित मे धर्मगुरु की आदर्श भूमिका रही है।आज के युवाओ को उन महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।मुनि ने कहा धर्म की व्यवस्था बनाये रखने के लिए नई पीढ़ी में आध्यात्म के संस्कार पैदा करे।आदर्श समाज के निर्माण में जो भूमिका साधु की हो सकती है,वह अन्य की कभी नही हो सकती।मुनि ने कहा साधु संतों का जीवन तो हिमालय सदश होता है जिससे करुणा प्रेम सत्य अहिंसा का निर्झर हर पल फूटता रहता है।प्रभातमुनि ने कहा जब जब युवाओ में शक्ति का संचार होगा,तभी इस समाज मे क्रांति का सूत्रपात हो सकेगा।साधुत्व का बीज अंतर्मन में अंकुरित हो,इस हेतु नैतिक एवं धार्मिक शिक्षण दिया जाना आवश्यक है।रविवार को राष्ट्र संत गणेशमुनि शास्त्री का 10वा स्मृति दिवस समारोह संतो के सानिध्य में पूर्ण होगा।स्थानक भवन में विशेष कार्यक्रम रखा गया है। गोतम प्रसादी रखी गई है।आज महावीर जैन गोशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा ने सम्बोधितकरते हुए कहा कि रविवार को गणेशमुनि शास्त्री के विशेष कार्यक्रम में उपस्थित होना है।इस बीच खुबिलाल लोढा महावीर मांडोत रमेश मांडोत मीठालाल कच्छारा शांतिलाल बम्बोरी आदि श्रावक उपस्थित रहे।
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