चार वर्षीय बालिका ने पूरी की आंबिल तपस्या – जैन समाज में हर्ष की लहर

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चार वर्षीय बालिका ने पूरी की आंबिल तपस्या – जैन समाज में हर्ष की लहर
रणछोड़ पालीवाल
सूरत 7 अप्रैल 2025
जैन धर्म में तपस्या का अत्यंत महत्व है, और उसमें भी आंबिल तपस्या को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इसी पुण्य तप का पालन सूरत की एक 4 वर्षीय बालिका वामा भाविक ज़वारी ने पूर्ण श्रद्धा एवं समर्पण से किया है।
उन्हें आंबिल तपस्या के अंतर्गत प्रतिदिन प्रातः और रात्रि में जिनपूजा करने का आदेश मिला था, जिसे उन्होंने पूरे नियम और अनुशासन के साथ निभाया। यह नन्ही बालिका न केवल तप की राह पर अग्रसर है, बल्कि उसे नवकार मंत्र, पचिंडिया, उवसर्गहर स्तोत्र, सतलख, अन्नथ, गुरु वंदन, कल्याण कंदम थोई, पार्श्वनाथ चंद, और गौतम स्वामी चंद जैसे कई सूत्र भी कंठस्थ हैं।इस अल्पायु में ऐसा गहन तप और धर्मज्ञान वास्तव में समाज के लिए प्रेरणादायक है। जैन समाज इस बाल तपस्वी की साधना की अनुमोदना करता है।

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