अहिंसा, एक सम्पूर्ण जीवन शैली-जिनेन्द्रमुनि महाराज साहब

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अहिंसा, एक सम्पूर्ण जीवन शैली-जिनेन्द्रमुनि महाराज साहब*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 14 मई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नान्देशमा से विहार कर तरपाल आए जिनेन्द्रमुनि मसा,रमेश मुनि मसा एवं दिपेशमुनि मसा ने श्रावक श्राविकाओं को आशीर्वाद दिया।जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा किअहिंसा एक सम्पूर्ण जीवन शैली है। जीवन का हर क्षण अपने मूल स्वरूप में अहिंसा को समर्पित है। अहिंसा भगवती है। यह प्रत्येक प्राणी की आत्मा में विद्यमान है। इसीलिए मैं विश्वधर्म की जय बोलता हूं। हिंसा इस विश्व का धर्म नहीं है. विश्व का धर्म तो एक मात्र अहिंसा है। अहिंसा से संदर्भित करुणा, दया अपनत्व आदि सभी मनुष्यों की मूल प्रवृत्तियाँ हैं। जीवन के एक-एक अंग में अहिंसा प्रवाहित होती है। यह प्रवाह जब भी बाधित होता है तो जीवन-प्रवाह में अवरोध उपस्थित होते हैं। जैसे ही अवरोध हटता है. प्रवाह पुनः चल पड़ता है।
रमेशमुनि मसा ने कहा किविश्वभर में आज जो स्थितियाँ निर्मित हई हैं, वे मूलभाव की उपेक्षा के कारण है। आज जिस तरह से हिंसा को गौरव दिया जा रहा है, स्पष्टतः हमारी संस्कृति पर कुठाराघात है, स्पष्ट रूप से अभिशाप है। जो यह मान रहे हैं कि विश्व की हर समस्या का निदान हिंसा में है, वे भूल कर रहे हैं।
खून से सना कपड़ा कभी-भी खून से साफ नहीं हो सकता। विश्व में अभय, निर्वैर एवं अविरोध की भूमिका को सशक्त बनाने के लिए पारस्परिक सद्भाव को मजबूत बनाने के प्रयत्नों की अनिवार्य आवश्यकता है। एक-दूसरे से लड़कर हम जीवित नहीं रह सकते।
जीवन की यात्रा एक-दूसरे के सहयोग से चलती है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का सूत्र देकर हमने विश्व को यही संदेश दिया है कि अहिंसा चूँकि मानव मात्र का मूल स्वभाव है, इसलिए वह किसी धर्म-विशेष या राष्ट्र-विशेष का प्राणतत्त्व न होकर सम्पूर्ण विश्व का धर्म है।
दिपेशमुनि मसा ने कहा कि आज चारो और ईर्ष्या का अलाव जल रहा है।मनुष्य को मनुष्य पर ही विश्वास नही है।एक पड़ोसी दूसरे को अपना बड़ा दुश्मन समझ रहा है।धर्म के नाम पर ईर्ष्या, द्वेष, औऱ कलह का वातावरण बनाया जा रहा है।धर्म मे इन बातों का कही कोई स्थान नही है।
इस बीच तरपाल जैन संघ के अध्यक्ष लक्ष्मीलाल कच्छारा मीठालाल कच्छारा सोहनलाल मांडोत महेंद्र मांडोत सुरेश भोगर नन्दलाल ढालावत राकेश मांडोत राकेश बम्बोरी,पारस भोगर शांतिलाल बम्बोरी भैरूलाल बम्बोरी ,वसंत बम्बोरी प्रकाश ढालावत लक्ष्मीलाल ढालावत आदि श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।

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