आखातीज पर शादियो की भरमार,गांवो में विवाह की खरीदी करते ग्रामीण*
2 weeks ago
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*आखातीज पर शादियो की भरमार,गांवो में विवाह की खरीदी करते ग्रामीण* कांतिलाल मांडोत गोगुन्दा 26 अप्रैल 25 भारत के गांवों में आज भी यह विश्वास है कि अक्षय तृतीया का दिन बिना पूछा मुहूर्त है। न पंडित को पूछने की जरूरत है और न ही नक्षत्र व योग देखने की जरूरत ।अक्षय तृतीया के दिन जो काम किया जाता,वह शुभ और चिरस्थाई होता है।भारतवर्ष के विषय में एक बात प्रसिद्ध है कि यह पर्वो का देश है।यहाँ की संस्कृति पर्व प्रधान है।
आखातीज पर विवाह करने की परंपरा आज भी अक्षुण्ण है।आखातीज पर विवाह का शुभ आरम्भ होगा।गांवो में तहसील स्तर पर लोग कपड़े ,आभूषण और बर्तन की खरीदी के लिए भीड़ लगा रहे है।गोगुन्दा के बाजार में आज रौनक देखने को मिली।सायरा क्षेत्र के अनेक गांवो में खरीदी के लिए लोगो की भीड़ देखी गई।तरपाल गांव में बस स्टैंड से थरकलिया और गोरमा स्थित दुकानों में लोगो की भीड़ रही।इस बार आदिवासी समाज मे विवाहोत्सव के कारण खरीदी की जा रही है।गांवो में बिन्द बींदणी सहित घर के मुखिया कपड़ो की खरीदी के लिए आ रहे है और गांवो में चहल पहल देखने को मिल रही है।तरपाल में कपड़े,बर्तन और फुटकर समान की खरीदी के लिए दुकानों में लोगो की भीड़ देखने को मिल रही है।विवाह के कपडे और चांदी के आभूषण आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण रिवाज रहा है। जिसमे पूरे परिवार के सम्बन्धियो के लिए पैरावणी की रस्म और लड़की वालों को साफा और साड़ियां देने का रिवाज आज भी अकबन्द है।तरपाल के आसपास के लोगो का पिछले कई दिनों से आवागमन देखा जा रहा है। व्यापारिक प्रतिष्ठानो में अच्छी ग्राहकी और किराना की वस्तुओ की खरीदी करते लोगो से व्यापार में रौनक बरकरार है।खासकर विवाह में पताशा बांटने की पुरानी परंपरा भील समाज मे विधमान है। पताशा की खरीदी के लिए लोग तरपाल का रुख करते है।गांव में बड़ा मार्केट होने की वजह से हमेशा खरीदी के लिए चित्रावास ,जोरिया हायला एवं पहाड़ी क्षेत्र से लोगो की आवाजाही देखने को मिल रही है।विशेषतौर पर तरपाल के आसपास के गांवो से ग्रामीण खरीदी के लिए आ रहे है।