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अम्बेडकर की टिप्पणी पर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन बेबुनियाद*

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*अम्बेडकर की टिप्पणी पर कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन बेबुनियाद*

कांग्रेस का बार बार चुनाव में हार का सामना करना भारी पड़ता जा रहा है।कांग्रेस ने कई बार चुनाव हारा है।इस पर कांग्रेस में आत्म विश्वास की कमी आई है।कांग्रेस ने राहुल और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में 89 बार चुनाव हारा है।कांग्रेस दिल्ली सहित अनेक राज्यों में भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अम्बेडकर की टिप्पणी को तोडमोरोड कर पेश कर देश मे माहौल बिगाड़ने का काम कर रही है।कांग्रेस का इतिहास पुराना है।

कांग्रेस का हर बोल और हर गलतिया इतेफाक समझा जाता है।कांग्रेस अम्बेडकर के नाम पर उछल कूद कर रही है।यह एक नाटक है।कांग्रेस सत्ता से बाहर रहकर बौखला गई है।इनके नेता हतप्रभ है।बार बार भाजपा की जीत से परेशान कांग्रेस ने बेबुनियादी सवालों का सहारा लेकर सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहती है।सोरोस पर टिप्पणी पर नाराज कांग्रेस ने अमित शाह की अम्बेडकर पर टिप्पणी का तूल पकड़ा है।कांग्रेस ने दिल्ली में हंगामा किया है तो राजस्थान में मुख्यमंत्री के घर का घेराव करने निकली है।यह संविधान का अपमान है।सदन में हर बात पर विरोध करने वाले एनडीए पर सीधा निशाना साध रहे है।

कांग्रेस एनडीए सरकार गिराने की कोशिश के चलते देश मे हथकंडे अपना रही है।भाजपा को 30 सीटे कम आई है और गठबंधन से सरकार चल रही है।इसलिए नीतीश कुमार और चन्दाबाबू नायडू की सीटों का भाजपा को समर्थन कांग्रेस को अखर रहा है।कांग्रेस की कथनी और करनी समान नही है।कांग्रेस देश मे विकास नही चाहती है।टुल का काम करती कांग्रेस तुष्टिकरण की हिमायती रही है।हिन्दू और हिंदुत्व से नफरत करने वाले देश का विकास कैसे पसन्द कर सकते है।अम्बेडकर के नाम पर इतना हल्लाबोल करने वाली कांग्रेस ने अम्बेडकर के साथ कैसा व्यवहार किया था। क्या यह कांग्रेसी नही जानते है? गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई।यह पहला मौका है

कांग्रेस ने अम्बेडकर को चुनाव नही जितने दिया था।कांग्रेस सपा आम आदमी पार्टी और उद्वव ठाकरे आदि सभी भाजपा का विरोध कर रहे है।कांग्रेस और अम्बेडकर के बीच उनका रिस्ता उतार चढ़ाव वाला ही रहा था।पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अम्बेडकर के खिलाफ चुनावी प्रचार किया था।अम्बेडकर जिस नेता नारायण सादोल काजरोलकर से हार झेलनी पड़ी थी,वही उनके निजी सहायक थे।उन्हें कांग्रेस ने उमीदवार बनाया था। नारायण सादोल के पक्ष में नेहरू खुद प्रचार में उतरे थे।कांग्रेस ने भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा में जाने से रोकने की हर संभव कोशिश की थी।अम्बेडकर की समाज सुधारक की छवि कांग्रेस के लिए चिंता का विषय थी।

कांग्रेस ने भीमराव अंबेडकर को खुद गद्दार कहा था।कांग्रेस को अम्बेडकर का नाम लेने का हक नही है।अम्बेडकर दो बार लोकसभा चुनाव हारे थे।उसके लिए कांग्रेस जवाबदार थी।कांग्रेस इतिहास को भुलाकर सत्तारूढ़ पर दबाव डाल रही है।लेकिन अम्बेडकर के साथ कांग्रेस ने अन्याय ही किया है।आज किस मुह से अम्बेडकर का नाम ले रही है?कांग्रेस देश की जनता को गुमराह करने निकली है।नेहरू अम्बेडकर के खिलाफ थे इसलिए अम्बेडकर को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था।दलित आदिवासी के लिए हक की आवाज बने अम्बेडकर को कांग्रेस पसंद नही करती थी।भाजपा हमेशा भारत रत्न अम्बेडकर को सम्मान दिया है।कांग्रेस ने हर मोड़ पर भीमराव का अपमान किया है।कांग्रेस का दोगला व्यवहार स्वार्थ की चौखट पर खत्म हो जाता है।कांग्रेस को कुर्सी प्यारी है।

                     *कांतिलाल मांडोत*

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