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*बच्चो की अच्छी शिक्षा से ही जीवन मे बदलाव आता है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*बच्चो की अच्छी शिक्षा से ही जीवन मे बदलाव आता है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

कान्तिलाल मांडोत

गोगुन्दा-31 जुलाई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उमरणा में विद्यालय के छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि वर्तमान समय मे बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करे और बेहतर जीवन देने का हमारा लक्ष्य होना चाहिए।नवचेतना पब्लिक स्कूल सुहावतो का गुड़ा से आए छात्र छात्राओं को जीवन जीने की शिक्षा देते हुए मुनि ने कहा कि आज का युवा कल के भारत का भाग्य विधाता है।

 

युवा शक्ति का पुंज है।युवाओ को आगे लाने और अच्छी शिक्षा देने के लिए स्कूल प्रशासन को सजग प्रहरी की भूमिका में रहना चाहिए।मुनि ने कहा कि शिक्षा से भरा जीवन उज्ज्वल और जिज्ञासा से भरा हुआ होता है।बच्चों की महत्वकांक्षा असीम है छात्र छात्राओं की मुस्कान आकर्षक है लेकिन उनके आंखों में चमक है और भविष्य संवारने के सपने देखते है तो जरूर उन बच्चों की मदद करनी चाहिए।नवचेतना पब्लिक स्कूल के बच्चों ने सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया।मुनि ने संगीत की सराहना करते हुए कहा कि कलाओं में संगीत का प्रमुख स्थान है।

संगीत जीवन की निर्मलता, दिव्यता और भव्यता की अनुभूति है।।मुनि ने कहा कि उच्चतर भावनाओ की अभिव्यक्ति संगीत से सहज रूप से होती है।प्रवीण मुनि मसा ने कहा कि बच्चों को अनुशासन का पालन करना चाहिए।जो बच्चे माता पिता और गुरु के बताए मार्ग पर चलते है।उनका जीवन मिठास भरा हो जाता है।माता पिता और गुरु का सम्मान करना चाहिए।शिक्षक पथ प्रदर्शक है।शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच की भेद रेखा दूर कर स्कूल में अनुशासन रखना चाहिए।पश्चिमी अंधानुकरण के बहाव में नही बह कर शिक्षा प्राप्त कर करियर बनाने का हर छात्र छात्राओं को लक्ष्य रखने की जरूरत है ।रीतेश मुनि ने राजस्थानी घोर बन्द नखरालो की धुन पर बच्चों की प्रस्तुति देखकर कहा कि गीत और संगीत जल के सदश निर्मल होना चाहिए।संगीत मानव को ही नही प्रकृति को भी प्रभावित करता है।मुनि ने कहा कि चारो वेदों मे विस्तार से निरूपण किया गया है।प्रभातमुनि ने उपस्थित छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर एक बच्चे का अंतिम धैर्य शिक्षा प्राप्त करना है।पढ़ लिख कर जीवन का निर्माण करने में शिक्षा की अहम भूमिका है।शिक्षा संस्कारो की जननी है।आज के युग मे इंटरनेट पर सारे दिन पड़े रहने वाले बच्चों का भविष्य अंधकारमय रहता है।मुनि ने कहा कि शिक्षक का काम है बच्चों को पढ़ाना और छात्रों का लक्ष्य डिग्री लेना ,यहाँ तक ही सीमित नही होना चाहिए।शिक्षक को चाहिए कि शिक्षा के साथ साथ धर्म का भी पुष्ट दे।जिससे बच्चे शिक्षा के साथ से संस्कारवान बन सके।उल्लेखनीय है कि उमरणा गोशाला में लंबे समय तक सेवा देने वाले चंदन कुमार सेठ का माला पहनाकर सम्मान किया।संतो ने साधुवाद दिया।समाजजनों ने चंदन सेठ का स्वागत कर भूरी भूरी प्रशंसा की गई।गुलाबचंद सोलंकी भोपाल सेठ और किरण सेठ सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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