नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9974940324 8955950335 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , मौन मनुष्य की सर्वप्रियता का अचूक साधन है-जिनेन्द्रमुनि मसा* – भारत दर्पण लाइव

मौन मनुष्य की सर्वप्रियता का अचूक साधन है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*मौन मनुष्य की सर्वप्रियता का अचूक साधन है-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 16 सितंबर
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ महावीर गौशाला उमरणा में जैन संत जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि भारतीय मनुष्यों ने हमारी वाणी को वाक शक्ति बताया है। कहा जाता है जब कोई बोलता है तो वह मनुष्य और जब मौन हो जाता है तो देवता है, ज्ञानी है। यानी वाणी मनुष्य की भाषा है और मौन ज्ञानियों की भाषा है। वाणी में असीम शक्ति है परंतु मौन में उससे भी प्रचंड शक्ति है। मनुष्य अपने अंतःकरण की शक्ति प्राणों की शक्ति को बोलकर बिखेर देता है। किंतु साधक मौन रहकर उस शक्ति को संवर्धन में उपयोग करता है।आत्म शक्ति को संवर्धन में उपयोग करते हैं और मौन द्वारा अपने भावों को अत्यधिक प्रभावकारी बना देता है । जैन संत ने कहा मूल व्यक्तित्व को अधिक प्रभावशाली और लोकप्रिय बनता है। जो जितना कम बोलता है, उसकी वाणी उतनी ही प्रभावशाली होती है ।मौन मनुष्य की सर्वप्रियता का एक अचूक साधन है। मौन रहने वाला कलह से, कटुता से बचता रहता है ।
महाश्रमण ने कहा मौन एक रक्षा कवच है ज्ञानियों का भी और मूर्खों का भी, ज्ञानी मौन रहता है तो उसका वह गुण है ,भूषण है। और सत्य व्रत की रक्षा कर सकता है ।लोकप्रियता को बनाए रख सकता है लोग उसे समझदार समझते हैं। मूर्खता का ढक्कन है मौन।मौन कभी भी दूसरों को हानि नहीं पहुंचाता है,जबकि मनुष्य बोलकर कलह, विग्रह,विद्वेष,फुट और हिंसा को भड़काता है ।दूसरों के दिलों में तीर चुभो सकता है।अंडे देने के बाद मुर्गी यह मूर्खता करती है कि वह चहचहाने लग जाती है।उसकी चहचहाट सुनकर कौआ आ जाता है, वह उसके अंडे छीन लेता है ।जो वस्तुएं अपनी भावी संतान के खाने के लिए रखी थी उन्हें भी वह चट कर जाता है। अगर वह चुप रहती तो वह इन दोनों आफतो से बच सकती थी। यह बोलने का परिणाम है। संसार का इतिहास उठाकर देख लो, जितने भी अनर्थ हुए हैं, युद्ध हुए हैं, नरसंहार हुए हैं, उनके पीछे सबसे बड़ा कारण वाणी ही रही है। द्रोपदी अगर एक कटु वचन नही बोलती तो महाभारत की विनाश लीला नही होती ,करुक्षेत्र में खून की नदियां नही बहती,विशाल सेना का नरसंहार क्यो हुआ?दशरथ अगर कैकयी को वचन नही देते तो न राम की जगह भरत का राजतिलक होता ,न ही राम वनवास जाते और न ही रावण के साथ युद्ध होता।आज भी परिवार,राष्ट्र और किसी भी क्षेत्र में चले जाइये,जितने विग्रह ,संघर्ष होते है,परिवार टूटते है,उनके मूल में कही न कही बोलना ही मुख्य कारण रहा है।सास बहू के कलह अगर बहु मौन रख ले तो सास कितनी देर बोल सकेगी।अकेला चना भाड़ नही फोड़ सकता ।बिना घास की चिंगारी किसको जलायेगी।सुखी जगह पर गिरी आग अपने आप बुझ जायेगी।अकेला व्यक्ति कलह नही कर सकता है।प्रवीण मुनि ने कहा दान में उत्तम दान आहार दान है।भूखे को भोजन कराना कठिन भी नही है।यह महादान की श्रेणी में आता है।रितेश मुनि ने कहा लोक में जो तृष्णरहित है उसके लिए कुछ कठिन नही है।कठिनाइया तो उसके सामने आती रहती है।प्रभातमुनि ने कहा आशा और विश्वास पर अपनी सारी उम्र निकाल देते है।आज दुखी है उन्हें कल सूरज पर विश्वास है।स्थानक भवन में गुरु दर्शन के लिए नासिक और जयपुर से प्रतिनिधि मंडल का आगमन हुआ।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031