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सीरिया में सड़क से लेकर राष्ट्रपति भवन तक विद्रोहियों का कब्जा

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सीरिया में सड़क से लेकर राष्ट्रपति भवन तक विद्रोहियों का कब्जा
सीरिया में विद्रोहियों गुटों और सेना के बीच कब्जे के लिए लड़ाई चली और अंततः सेना को हथियार छोड़कर भागने के लिए मजबूर किया गया।सीरिया के राष्ट्रपति को देश छोड़कर भागना पड़ा।यह घटना पहली और आखिरी घटना नही है।जिसके पूर्व बांग्लादेश और श्रीलंका में तख्तापलट हुआ है।तत्कालीन प्रधानमंत्री को देश छोड़कर जाना पड़ा था।सीरिया में खूंखार आतंकी संगठन ने अपनी जड़ें जमाई है।सिया और सुन्नी के बीच बिगड़ते रिस्तो के कारण यह हालात हुए है।सीरिया में राष्ट्रपति की सत्ता खत्म हो गई है।विद्रोहियों ने शहर को आग के हवाले कर दिया।जगह जगह आग लगाई गई।सीरिया के पूर्व कई देशों में इस तरह के हालत हुए है।जनता और सरकार के बीच बढ़ती तकरार और जनता की बात को नजरअंदाज करने का यह नतीजा है कि जनता को कानून हाथ मे लेना पड़ा है।अफगानिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री को देश छोड़कर भागना पड़ा था।एतएव, सीरिया में बढ़ते विद्रोह का परिणाम हम सबके सामने है।सीरिया में विद्रोहियों के बेकाबू होने और गोलियों की बौछार से देश के हालत बद से बदतर कर दिए है।जनता का भरोसा तोड़ चुके राष्ट्रपति बशर अल असद को देश छोड़कर भागना पड़ा।महज कुछ दिनों की अवधि में ही राष्ट्रपति को खदेड़ते हुए सीरिया को विद्रोहियों ने अपने कब्जे में ले लिया है।हमा में विद्रोहियों ने जश्न मना कर जीत का इजहार किया गया।कहा जाता है कि 1982 में बशर अल असद के पिता नेनरसंहार को अंजाम देकर करीब 30 हजार लोगो की हत्या की गई थी।सिया और सुन्नियों के बीच तब से विद्रोह चला आ रहा है।मौका मिलते ही निर्दोष लोगों की हत्या का बदला राष्ट्रपति का तख्तापलट कर लिया गया है।खूनी संघर्ष के बाद विद्रोहियों ने ठान ली थी कि समय आने पर राष्ट्रपति बशर अल असद को देशनिकाला देकर ही सांस लेंगे।विद्रोहियों ने इस घटना को अंजाम देकर हमेशा के लिए सत्ता हथियाने में सफल हो गए है।असद के साथ विद्रोही आगे बढ़ रहे है।रूस और ईरान का भी समर्थन प्राप्त है।13 साल में पहली बार इस तरह की घटना सामने आई है।जिसके चलते असद को सत्ता गंवानी पड़ी है।सेना ने यह सोच कर हथियार छोड़ दिये है कि शहर में निर्दोष लोगों को मौत से बचाया जा सके।असद के समर्थन में रूस ने बमबारी कर दोस्त की भूमिका निभाने के लिए दोनों देश समर्थन में खड़े है।विदेशो की सुलगती आग की चिंगारी दूसरे देशों को चपेट में ले रही है।एक दूसरे देश आक्रामक मुड़ में है।भारत मे बढ़ते अलगाववाद के कीटाणुओं से बचने की जरूरत है।दिनों आतंकी संगठन सीरिया का साथ देने के लिए आगे आये है।हिजबुल्लाह भी साथ देने के लिए आगे आ गया है।अलकायदा और हिज्ज्बुल्ला दोनों देश सीरिया में लड़ी जा रही जंग के खिलाफ है और विद्रोहियो के दांत खट्टे करने के लिए पूरी तैयारी कर चुके है।इस बार सीरिया को तबाई के मार्ग पर जाने से कोई रोक नही सकता है।सीरियाई अधिकारियों की स्थिति नाटकीय होती जा रही है।कई मजबूत सैन्य ठिकानों ने आत्म समर्पण कर दिया है

  •    कांतिलाल मांडोत

 

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