*सच्चरित्र एवं कर्तव्य निष्ठ रहना ही राष्ट्र सेवा है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*सच्चरित्र एवं कर्तव्य निष्ठ रहना ही राष्ट्र सेवा है-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 4 जुलाई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ उमरणा स्थानक भवन में हरियाली अमावस्या के विशिष्ट दिवस पर धर्म सभा मे जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि यदि हम अपने स्थान पर ही कर्तव्य निष्ठ और सच्चरित्र हैं तो यह सच्ची राष्ट्र सेवा ही है। किसी भी राष्ट्र का निर्माण संपत्ति और साधनों से नहीं होता राष्ट्र का निर्माण होता है सच्चरित्र कर्तव्य निष्ठ नागरिकों से।चरित्र वान नागरिकों का निर्माण बाल्य भाव के सद् संस्कारों से होता है ।
मुनि ने कहा बचपन में अपना मस्तिष्क संस्कार बीज ग्रहण करता है। ये संस्कार बीज ही बड़ी उम्र में आचरण के रुप में फलित होते हैं अतः बालक बालिकाओं को बचपन से ही पवित्र वातावरण में रहना चाहिये ।
आज पुरुषों में पाई जाने वाली बुराई युवाओ और किशोरावस्था के बीच में भी फैल रही है । ये सारी बुराइयां कुसंगति, अश्लील सहित्य पठन और टी.वी के गन्दे दृश्य देखने से फैल रही है।बालिकाओं को अभी से सजग हो जाना चाहिये कि कहीं इन बुराइयों के बीज अपने मस्तिष्क में तो प्रवेश नहीं कर रहे है।बात बात में झूठ बोल जाना, छोटी सी भी किसी वस्तु की चोरी कर लेना। गलती हो तो भी उसे स्वीकार नहीं करना, बहाने बनाना ये वे पाप बीज है। संस्कृति में, हमारे इतिहास में हमारे जन जीवन में सर्वत्र नारी जीवन की श्रेष्ठता की महक भरी हुई है।हमारे यहां नारियां तीर्थंकर और अवतार तक बनती है। तीर्थकरों औरअवतारों को यहा’ माताएं गोद में खेलाती है। नारियां यहां पूज्य है, सम्मानीय है,श्रेष्ठ यह गौरव भविष्य में भी बना रहे। इसके लिये को अपने शैशव काल में ही उच्च आदशों के अनुरुप जीवन जीने का अभ्यास करना चाहिये ।
रीतेश मुनि ने कहा बुराई की शुरुआत “इतना सा कर लेने में क्या हानि है ?” यहीं से होती है। जो बुराई आप आज अल्प रुप में कर रहे हैं कल वह इतनी भयंकर रुप से विराट हो जाएगी कि उस से जीवन को बचा पाना कठिन हो जाएगा अतः छोटी से छोटी बात भी यदि गलत हैं तो हर्गिज न करें । घोर तपस्वी प्रवीण मुनि ने नवकार की महिमा बताई।प्रभातमुनि मसा ने मंगलाचरण किया।तरपाल जैन अग्रणी वच्छराज घटावत शांतिलाल बम्बोरी शांति लाल गलिवाला हिमत भोगर पारस भोगरसायरा से मीठालाल मेहता उदयपुर आदि क्षेत्रों से श्रावक श्राविकाओं का आगमन हुआ।

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