जैन धर्म मे कैचलोच मोक्ष मार्ग का सबसे कठिन मार्ग -जिनेन्द्रमुनि मसा*
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उमरणा में कैशलोचन समारोह आयोजित
*जैन धर्म मे कैचलोच मोक्ष मार्ग का सबसे कठिन मार्ग -जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 29 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ उमरणा के स्थानक भवन में जिनेन्द्रमुनि मसा का कैशलोचन किया गया।कैशलोचन जैन समाज की मुनि परम्परा की जटिल एवम पीड़ादायक परम्परा है।कैशलोचन के समय हाथ से घासफूस की तरह सिर,दाढ़ी और मूंछ के बार उखाड़ फेंकना सहनशीलता की खरी कसौटी है।हमारे किसी अंग में बालतोड़ होता है तो हमे कितनी वेदना होती है।असहाय पीड़ा का अनुभव करते है।लेकिन जैन साधु त्याग की प्रतिमूर्ति असहाय पीड़ा को मुंह से उफ किये बिना सहन करते है।इस बीच उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि जैन मुनि हर सुख सुविधा से परे होते है।जैन साधु हर कसौटी पर खरे उतरते है।
संत ने कहा कहने को ही खरे नही है।एक तरह कांच के टुकड़े पड़े है और दूसरी तरफ घास है पर जैन साधु घास पर पैर नही रखेंगे क्योकि घास एकइंद्री जीव है।घास पर पैर रखने पर हिंसा लगती है।भले पांव में खून की धारा बह जाए कोई बात नही,पर कांच के टुकड़े पर चलना मंजूर है।साधु कैची के उपयोग के बीना सिर दाढ़ी और मूंछ के बाल एक झटके में उखाड़ फेंक देते है।क्योकि कैंची के उपयोग से छोटे छोटे जीवो के कट जाने से हिंसा होती है।जबकि दूसरी तरफ नाई की पराधीनता स्वीकार नही है।
साधु स्वाधीनता रखते है। नाई को पैसे देने के लिए किसी से मांगने की जरूरत महसूस नही हो,उसके लिए पूर्ण स्वाधीनता रखते हुए मुनि हाथों से कैशलोचन करवाते है।क्योकि जैन साधु अपने पास पैसे नही रखते है।पैसों को छूते तक नही है।क्योंकि जैनधर्म त्याग की पूजा करता है।जैन धर्म कहने का नही सहने का धर्म है।
जैन धर्म मे कैशलोचन मोक्ष मार्ग का सबसे कठिन कार्य है।जैन धर्म कठिन साधना का पथ है इसमे एक मार्ग है कैशलोचन करना और बीना संकोच और पीड़ारहित बनाने की कोशिश कर मन से दुःख महसूस नही करना ही कठिन साधना है।जैन धर्म के साधुओं में सुंदरता का मोह खत्म हो जाता है।अपने आत्म सौंदर्य बढ़ाने कठिन साधना करते है। इसमे संयम की पालन भी होती है।कैचलोच करना भी एक मूल गुण है।
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