कुसंगति जहर से भी खतरनाक-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*कुसंगति जहर से भी खतरनाक-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 9 अक्टूबर
श्री वर्धमान स्थानजवासी जैन श्रावकसंघ महावीर जैन गोशाला उमरणा में धर्मसभा में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि कुसंगति का प्रभाव केवल मनुष्य पर ही नही पशु जगत पर भी पड़ता है।ओर इससे सम्पूर्ण जीवन दिशाहीन होकर भटक जाता है।जन्म से कोई डाकू तस्कर या संत नही होता है।जो जिसके बीच रहता है इस पर इसका प्रभाव हुए बिना नही रहता।अतः सम्पूर्ण वैभव भी कोई समर्पित कर कुसंगति के लिए आमंत्रित करे तो उसे ठुकराने वाला ही सच्चा ज्ञानी पुरुष है।गुरु ने कहा कि लाखो आत्माओ का पतन सिर्फ कुसंगति से हुआ है।अतः यह हमारी असल शत्रु है।जैन मुनि ने स्पष्ट कहा कि बाल जीवन निर्मल पानी व कोरे कागज के समान है।उसे जैसी संगति का संग मिलेगा।वह उसी रंग में रंग जाएगा।बुराइयों को सीखना नही पड़ता है।उसके लिए कोई मेहनत भी नही करनी पड़ती हैऔर न ही उस पर कुछ खर्च आता है।वह घुसपैठिये की तरह हमारे जीवन मे प्रवेश कर जाती है।अपनाते समय मनमोहक व आकर्षित भी लगती है।परन्तु उसका परिणाम झहर से भी खतरनाक होता है।जहर तो केवल वर्तमान को नुकसान पहुंचाता है।परंतु दुष्ट संगति शरीर को,लोगो का घर बिगड़ने के साथ आत्मा को भी जन्म जन्म भटकाती रहती है।मुनि ने कहा कदम कदम पर कुसंगति का बोल बाला है।इससे इज्जत धन सब मिट्टी में मिल जाता है।परिवार पूरी तरह से तबाह हो जाता है।इतिहास साक्षी है कि राजा महाराजाओं को कुसंगति ने ताज से उतारकर धरती पर खड़ा कर दिया था।मुनि ने कहा नफरत करने वालो से आप भी यदि नफरत से जवाब नफरत से ही देने का विचार बनाते है तो अपने आप को इतना नीचे गिरा लेते तो फिर दोनों में अंतर ही क्या होगा?नफरत से अपने आप मे दूसरा नाम है पाप।अधर्म और पतन का मार्ग।नफरत के विचारों का परित्याग कर वात्सल्य भावो से सद्भावना पूर्वक ओतप्रोत होना ही धर्म का पालन करना है।मुनि ने कहा खून से रंगे कपड़े खून से साफ नही किया जा सकता।वैसे ही नफरत को कभी नफरत से नही मिटाया जा सकता,ऐसे मिटाना मानो आग से आग बुझाने के समान ही माना जायेगा।

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