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गोगुन्दा क्षेत्र मेंविविध मन्दिरो में हवन पूजन के साथ नवरात्रि का समापन हुआ*

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*गोगुन्दा क्षेत्र मेंविविध मन्दिरो में हवन पूजन के साथ नवरात्रि का समापन हुआ*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 11 अक्टूबर
शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्तोजनो ने माता की आराधना कर नौ दिवस तक व्रत – उपवास कर समृद्धि की कामना की ।नवरात्रि में नौ दिनों तक चल रहे डांडिया गरबा का आज पूर्ण विराम हो गया।नवरात्रि के पुनीत पर्व पर नौ दिवसीय आराधना कर श्रद्धालुओं ने क्षेत्र की जनता की खुशहाली के लिए कामना की गई।क्षेत्र में मन्दिरो में पुजारी नवरात्रि में नौ दिन फलाहार पर रहकर आराधना की गई।

माताजी के चरणों मे रहकर उपवास कर सुख समृद्धि के लिए माता रानी से प्रार्थना की।तरपाल के बायण माता मंदिर में नौ दिवस तक डांडिया गरबा में युवक युवतियों ने बढ़चढ़ भाग लिया।तरपाल बायण माता मन्दिर में धूमधाम से शारदीय नवरात्रि पर आराधना कर हवन पूजा की गई।जसवन्तगढ़ हाइवे पर स्थित घटा माता मंदिर में नौ दिवसीय आराधना की गई।

गरबा का आयोजन हुआ।हवन और अनुष्ठान के साथ समापन किया गया।पुजारी ने बताया कि घटा माता मंदिर का संचालन जसवंतगढ़ के जैन परिवार की श्रद्धा भक्ति देखी गई है।इनका विशेष योगदान मिलता है।उनके सानिध्य में कार्यक्रम होता है।जसवंत गढ के भोगर एवं तलेसरा परिवार नवरात्रि में विशेषतौर पर उपस्थिति दर्ज करवाते है।नौ सौ वर्ष पुरानी माताजी की प्रतिमा स्थापित है।

इस वर्ष का शिलालेख भी अंकित है।उन्होंने कहा कि दूर दूर से लोग आकर धोक लगाकर माता से आशीर्वाद ग्रहण करते है।नौ दिवस मन्दिर प्रांगण स्थित डांडिया गरबा का आयोजन डीजे की धुन पर किया गया।दूर दूर से भक्तगण मन्दिर में आकर मातारानी से सुख-समृद्धि की कामना कर अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए शीश नमाते थे।घटा माता के लिए विशेष उपलब्धि और विशेषतौर पर परिभाषित कर चमत्कारिक वांस के बारे में बताते हुए पुजारी ने बताया कि पांचसौ वर्ष पूर्व चोरो ने सुकी लकड़ी की चोरी करके मन्दिर से जाने लगे,उस दौरान सभी अंधे हो गए।माताजी से माफी मांगकर किये पापकर्म का प्रायश्चित कियाऔर आंखों की रोशनी पुनः प्राप्त हुई।जिससे सुकी लकड़ी वही पर छोड़कर गए। कहते है वही लकड़ी धीरे धीरे वांस में परिवर्तित हुई है।

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जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण बांस की लकड़ी है। उल्लेखनीय है कि प्रतिमा के समक्ष बांस पांचसौ वर्ष से इसी तरह खड़े है।इसी कड़ी में जसवंतगढ़ स्थित खाखल देव मन्दिर में अनुष्ठान किया गया।जसवंत गढ़ पिपलाज माता में भारी भीड़ एकत्रित हुई और प्रसाद वितरित किया गया।नान्देशमा स्थित चामुंडा मन्दिर में नौ दिवसीय आराधना हुई।हवन और अनुष्ठान में गांव के सभी लोगो ने हिस्सा लिया।माताजी की प्रतिमा चमत्कार से कम नही है।माताजी के प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर न्याय के लिए पाती मांगने का रिवाज है।कहते भी है कि वाद विवाद या किसी समस्या के समाधान हेतु चामुंडा माता मंदिर पर न्याय के लिए लोगो का आवागमन होता है।फूल से न्याय करने वाली चामुंडा माता के मंदिर परिसर में फूल चढ़ाकर माता से पाती मांगी जाती है।

 

चमत्कारी मूर्ति के दर्शन और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दूर दूर से लोगो की आवाजाही रहती है।लिहाजा,नवरात्र के पावन प्रसंग पर प्रवासी अचूक उपस्थित रहते है।गांवो में पूजा अर्चना कर नौ दिवसीय आराधना कर मनोकामना पूर्ति के लिए माता रानी से आशीर्वाद ग्रहण करने वाले भक्तों का तांता लगा रहा। चामुंडा माता मंदिर में महाप्रसादी का आयोजन किया गया।इसके साथ ही शारदीय नवरात्रि का समापन अनुष्ठानों के साथ पूर्ण हुआ।

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