सायरा क्षेत्र के सेमड़ में 13 साल बाद लोकनृत्य गवरी का आयोजन*
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*सायरा क्षेत्र के सेमड़ में 13 साल बाद लोकनृत्य गवरी का आयोजन*
उदयपुर /गोगुन्दा 5सितम्बर
कांतिलाल मांडोत
उदयपुर जिले के नवगठित सायरा तहसील के सेमड गांव मे 13 साल बाद लोकनृत्य गवरी का आयोजन किया गया।ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय के बाद गवरी का आयोजन हुआ है।जिसका लोगो को आनन्द है।गवरी हर समाज के लिए आनन्द और उत्साह का खेल है।गवरी के नाम सुनते ही अभिभूत होने वाले सैकड़ो की तादात में है।भील जाति के इस अति विशिष्ट गवरी मंचन के पीछे आध्यात्मिक पहलू है।
40 दिनों तक नियमो में बंधे कलाकारों के लिए अतिआवश्यक है,बल्कि उनका परिवार भी 40 दिनों तक गोरज्या माता की आराधना और हरी सब्जियों का त्याग कर आध्यात्मिक पालना करता है।यह माता और देवताओं का भेख है।भेखधारी भोपाजी और कलाकार 20 घन्टे तक लगातार दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते है। लेकिन कलाकार को कभी थकान महसूस नही होती है।यह देवताओं की कृपादृष्टि है।
सेमड में हर्षोल्लास के वातावरण है।आज दूसरे गांव के लिए गवरी ने प्रस्तान किया है। गांव में भाला रोपने के बाद गवरी खेली गई।गवरी के इस आयोजन में ग्रामवासियों का सहयोग रहा है।गांव के कई घरों से प्रवासी सूरत और मुंबई में रोजगार से जुड़े हुए है।लेकिन गांव की गवरी में शरीक होने बहुत से परिवारों का आवागमन हुआ है।लिहाजा,अभी भी आवाजाही चालू ही रहेगी।गांव के रणछोड़ पालीवाल ने बताया कि गवरी की खुशी अपार है।मैं सूरत में व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूं।लेकिन गवरी के कारण मुझे यहां आना पड़ा है।गांव के मौतबिरो ने बताया कि गवरी गाँव की बहन बेटियों को जहा ब्याही गई है वहा गवरी खेली जाएगी।आज गवरी के मन्चन में दर्शक आनन्दित हुए।जिसमे काना गुजरी,नाथा भाया,बंजारा,दानी मीणा आदि खेलो का मन्चन किया।नितिन जैन ने बताया कि गांव का बराबर सहयोग रहा है।सभी ने व्यवस्था के मद्देनजर बढ़चढ़ कर भाग लिया।
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