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सभी पर्वो से अलौकिक  पर्व पर्युषण महापर्व*

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                        आज से पर्युषण पर्व का आरम्भ
     सभी पर्वो से अलौकिक  पर्व पर्युषण महापर्व*

पर्व राज पर्युषण का जैन धर्म में विशेष महत्व है। यह पर सभी धर्म से हटकर मनाया जाने वाला अलौकिक पर्व है। वर्षाकाल को प्रारंभ हुए करीब दो माह व्यतीत हो गए है। चातुर्मास का यह प्रारंभ भी नहीं है तो उतार भी नहीं है। धर्म श्रवण का हमारा कार्य शिखर की ओर गतिमान है। आज के आदमी को दुनिया पर का ज्ञान है। दुनिया भर से उसका परिचय है पर स्वयं से बेखबर है ।जब तक वह स्वयं से संलगन नहीं बनेगा ।उसके जीवन की समस्याएं घटने के बजाय और अधिक बढ़ती चली जाएगी। पर्युषण पर्व यही संदेश लेकर समुपस्थित हुआ है कि हम अपने आप में संपर्क स्थापित करें। अपने आप को देखें, परखे एवं जीवन को जीवन के ढंग से जीने का अभ्यास करें। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अधिकांश समस्याओं के मूल में आंतरिक विकारों एवम कषाय जन्य विषमताओं का प्राधान्य है।जब तक इनका शमन नही होता,जीवन के चमन में सुखों के फूल नही खिल सकते।पर्युषण का यह निर्देश है कि हम समता की अमृत वृष्टि के द्वारा इन ज्वालाओं
को शांत करने का पुरुषार्थ करे।
*अंतर बाह्य शुद्धिकरण*
इन दिनों आधिकारिक रूप से व्यक्ति सावध प्रवृत्तियों से स्वयं को बचाता है। दान शील तप और भाव की आराधना प्रमुख रूप से संम्पन करना साधक का ध्येय रहता है। संवर ,सामायिक, स्वाध्याय ,मौन जप तप आदि की ओर उन्मुखता पर्युषण में सतत रहती है।इन आठ दिनों में उन पर चिंतन मनन करके साधक आत्म साक्षी और गुरु साक्षी से प्रयाश्चित करके शुद्विकरण करता है एवं जीवन मे पुनः उसकी पुनरावृत्ति न हो,इस प्रकार का संकल्प ग्रहण करता है।
*अपने आप को देखे*
हम अपने आप को देखने का प्रयास करें हमारे मन के आंगन में क्रोध, मान ,माया लोभ जो भी कचरा एकत्रित हो गया है। उस कचरे को विवेक की बुहारी लेकर तुरन्त साफ करे।यह कचरा यदि मन के आंगन में पड़ा रहता है तो संड़ाध पैदा करेगा।और इस संड़ाध से हम निरन्तर अस्वस्थ बनते चले जायेंगे। इसलिए इन आठ दिनों में हमे पूरे साल भर का हिसाब किताब ठीक करना है। कुशल व्यवसायी वह होता है जो लाभ और हानि की ठीक तरह से समीक्षा करें। इसलिए इन आठ दिनों में पूरे साल भर का हिसाब किताब ठीक करना है। जीवन जागरूकता से उत्कृष्टता का वरण करता है ।हम अपने मन में आधिकारिक पवित्र भावो का समावेश करे।वाणी के द्वारा किसी को कटुवचन न कहे। किसी की निंदा व आलोचना में रुचि रस न ले।सेवा आदि के किसी भी महत्वपूर्ण अवसर को गंवाने की भूल न करे।
*परम गति के अधिकारी* पर्वराज पर्युषण मोक्ष में ले जाने के लिए आया है।हमारे मन के अंधकार को हटाकर प्रकाश भरने वाला सिद्ध होगा। यदि श्रद्धा से पर्वराज का स्वागत किया और मन के मेल को उतारने की कोशिश की तो हमारा रोम रोम अलोकित हो जाएगा।
पर्युषण पर्व अध्यात्म साधना में सलंघ्न करने वाला पर्व है।पेट,पेटी और परिवार की फिक्र में रात दिन जीवन का समय बीत रहा है।हमे थोड़ा इस जीवन को अध्यात्म से समृद्ध बनाने के लिए भी सचेष्ट होना चाहिए।भौतिक दृष्टि से कितने भी समृद्ध बन जाइये,आपकी भौतिक समृद्धि आपको थोड़ा सा भी सुख नही दे सकेगी।

                                  *कांतिलाल मांडोत*

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