नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9974940324 8955950335 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , अहिंसा कायरता नही सिखलाती,यह मानवता का उज्ज्वल प्रतीक है-जिनेन्द्रमुनि मसा* – भारत दर्पण लाइव

अहिंसा कायरता नही सिखलाती,यह मानवता का उज्ज्वल प्रतीक है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

oplus_0

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*अहिंसा कायरता नही सिखलाती,यह मानवता का उज्ज्वल प्रतीक है-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 25 नवम्बर
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ तरपाल में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि अहिंसा की दृष्टि विराट है।उसमें संकीर्णता की जरासी भी गुंजाइश नही है।यह तो गंगा की उस विमल विशाल धारा के सद्रश मुक्त व स्वतंत्र है।उसमें बन्धनप्रिय नहीं है।यदि अहिंसा को किसी प्रान्त भाषा पंथ या सम्प्रदाय की शुद्ध परिधि में बंद कर दिया गया ,तो उसकी वही स्थिति होगी।जो समुद्र के शुद्ध निर्मल जल को किसी गड्ढे में बंध कर देने पर होती है।यह तो विश्व का सर्वमान्य सिद्धान्त है।अहिंसा का सिद्धांत अनोखा है।इतने बड़े पैमान पर विशेष कर इतनी बड़ी शक्ति के हाथों अंग्रेजो से स्वराज प्राप्त करने में उसका उपयोग और भी अनोखा था।मुनि ने कहा अहिंसा का क्षेत्र काफी विस्तृत है।वह विश्वव्यापी है।

यह मानवता का उज्ज्वल प्रतीक है।इसके द्वारा ही जन समाज की सारी व्यवस्थाएं व प्रवृतियां युग युग से सुचारू रूप से चली आ रही है।अहिंसा कायरता नही सिखलाती है।वह तो वीरता सिखलाती है।अहिंसा वीरो का धर्म है।अहिंसा का स्वर है है मानव!तू अपनी स्वार्थ लिप्सा में डूबकर दुसरो के अधिकार को न छीनो।किसी देश या समाज के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करो।किसी की समस्या को शांतिपूर्णक समझाने का प्रयास करो और शांति के लिए तुम अपना बलिदान अवश्य दो।

किन्तु अपनी स्वार्थ एवं वासनापूर्ति के लिए किसी के प्राणों को मत लूटो।इस पर भी यदि समस्या का उचित समाधान नही हो पा रहा है और देश,जाति और धर्म की रक्षा करना अनिवार्य हो तो उस स्थिति में विरतापरक कदम उठा सकते है।गुरुदेव ने कहा अहिंसा के नाम पर कायर बनकर घर मे मुंह छुपाकर मत बैठो।जैन संत ने कहा कि अहिंसा यह नही कहती कि मानव अन्यायों को सहन करे।क्योकि जैसे अन्याय करना स्वयं पाप है वैसे ही अन्याय को कायर होकर सहन करना भी एक महापाप है ।वह अहिंसा ही क्याह?जिसमे अन्याय के प्रतिकार की शक्ति नही है।देश की आजादी को सुरक्षित रखने की शक्ति नही है।वह अहिंसा अहिंसा नही है।वह तो नाम मात्र की अहिंसा है।मुनि ने कहा श्रमण संस्कृति के भगवान महावीर ने क्रांति की अलख जगाई,गांव गांव घूमकर मानव समाज को अहिंसा और प्रेम का दिव्य संदेश सुनाया।महावीर के समसामयिक महात्मा बुद्ध भी एक युग पुरुष थे।बुद्ध समाज की बुराइयों के साथ लड़े थे।संघर्ष किया था।मुनि ने कहा महात्मा गांधी ने अंग्रेजो का सामना किया।वह बहुत बड़ी शक्ति के साथ लड़े थे।पर अहिंसक बनकर लड़े।मानवीय जीवन के जितने भी क्षेत्र व विषय है।उन सब मे अहिंसा का अप्रतिहत प्रवेश है।सभी क्षेत्र अहिंसा की क्रीड़ाभूमि है।आज तरपाल से जैन संत जिनेन्द्रमुनि मसा विहार कर जसवंतगढ़ के समीप पुष्कर देवेंद्र केंद्र विहार धाम पहुंचे। वहां से सेमटाल पुष्कर तीर्थ के लिए रवाना हुए।उसके पूर्व तरपाल जैन संघ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि तरपाल का चातुर्मास काल मे विशेष योगदान रहा।संवाददाता कांतिलाल मांडोत को विशेष साधुवाद देकर कहा इनका जैन समाज के प्रति समर्पण भाव अपरिमित है।वे समर्पण भाव से ओतप्रोत होकर साधुवाद दिया।गुरुदेव ने कहा इन्होंने चार माह तक रास्ट्रीय स्तर तक प्रवचन छपवाकर मीडिया प्रभारी का बखूबी जवाबदेही निभाई है।ये खूब खूब अभिनंदन के पात्र है ।मुनि ने तरपाल संघ को साधुवाद देते हुए कहा कि जो भी साधु संतों का आगमन होता है इसमें जैन समाज के कर्मठ कार्यकर्ताओ द्वारा सेवा प्रदान करने में अहम भूमिका रहती है।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

September 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930