*आध्यात्मिक जागृति का महापर्व है चातुर्मास-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*आध्यात्मिक जागृति का महापर्व है चातुर्मास-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
सायरा 20 जुलाई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उमरणा में चातुर्मास के आरम्भ एवं प्रवचन माला में जिनेन्द्रमुनि मुनि मसा ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्षावास को मुनिचर्या का विशेष योग माना जाता है।चातुर्मास का लौकिक जगत में भी महत्व है तो आध्यात्मिक जगत में भी बहुत बड़ा महत्व है।लौकिक समृद्धि का आधार है।लोकोत्तर अवधि में इस समय गुरु का योग बनता है।चातुर्मास एक पारिभाषिक शब्द है जो चार माह की अवधि है।जिसे साधु एक ही स्थान पर बिताते है।श्रद्धालुओं के यहां से गोचरी ग्रहण कर अपने व्रत और नियमो का पालन करते है।
सायरा के समीप महावीर गोशाला स्थित जैन संतो का चातुर्मास का शुभारंभ हुआ है।ग्रामों एवं नगरों में वर्षा ऋतु में श्रमण साधु उपाध्याय एक स्थान पर रुकने की परंपरा है ।प्रवचन माला में दूसरे दिन जैन संत ने चातुर्मास की महिमा बताते हुए कहा कि चातुर्मास साधु जगत के लिए महत्वपूर्ण है,जबकि श्रावक और श्राविकाओं के लिए धर्म आराधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।इस चार माह की अवधि में धर्म,दान और संतो का सानिध्य मिलता है।चातुर्मास धार्मिक जगत की धुरी है।पर्यावरण एवं कृषि के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।प्रवीण मुनि मसा ने आगम पर अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि आगम की वाणी जन्म जन्मांतर के दुःख काटने में सहायक होती है।प्रवचन सुनने के लिए लोगो का आवागमन होने लगा है।रीतेश मुनि मसा ने कहा कि कर्म का नाश होता है जीव का नही होता है।उन्होंने कहा कि निर्वाण और मोक्ष में कोई अंतर नही है।कर्मो से जीव का ही मोक्ष होता है।जीव का अपना शुभ स्वभाव नष्ट हो जाता एवं स्वतंत्र हो जाना ही मोक्ष है।प्रभातमुनि मसा ने मंगलाचरण से शुरुआत कर अपने भाव व्यक्त किये।

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