अखण्ड सौभाग्य का पर्व गणगौर की पूजा अर्चना के लिए युवाओं में भारी क्रेज*

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*अखण्ड सौभाग्य का पर्व गणगौर की पूजा अर्चना के लिए युवाओं में भारी क्रेज*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 22 मार्च
होली के बाद मनाया जाने वाला गणगौर पर्व में युवतियों की रुची देखने को मिल रही है।अखण्ड सौभाग्य के वरदान की अभिलाषा लिए महिलाएं ओर युवतियों में भारी क्रेज है।
गणगौर का त्योहार स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और लड़कियां श्रेष्ठ वर की प्राप्ति के लिए गणगौर पूजा करती है।
गण-गौर यानी शिव-पार्वती की पूजा का यह पावन पर्व आपसी स्नेह और साथ की कामना से जुड़ा हुआ है। सोलह दिनों तक की जाने वाली भक्ति आराधना के बाद गणगौर पर्व की समाप्ति होती है।सायरा क्षेत्र में गांवों में शिव और गौरी की आराधना का मंगल उत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है। गणगौर का अर्थ है,गण और गौर’। गण का तात्पर्य है शिव (ईसर) और गौर का अर्थ है पार्वती। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। शास्त्रों के अनुसार मां पार्वती ने भी अखण्ड सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी और उसी तप के प्रताप से भगवान शिव को पाया। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती ने समस्त स्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था। माना जाता है कि तभी से इस व्रत को करने की प्रथा आरम्भ हुई। गांव में महादेव को जलाभिषेक में युवतियों ने हिस्सा लिया।परिवार में सुख शांति और समृद्वि की कामना की गई।राजस्थान में गणगौर विशिष्ट पर्व के रूप में मनाया जाता है।युवाओ में भारी रुची है।

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