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अपनी आत्मा को शुभकर्म की ओर उन्मुक्त करो-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*अपनी आत्मा को शुभकर्म की ओर उन्मुक्त करो-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 26सितंबर
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ महावीर गौशाला उमरणा के स्थानक भवन में जिनेन्द्रमुनि मसा ने प्रवचन माला में फरमाया कि धर्म सभा धार्मिक सदभाव का प्रतीक है।किसी ने किसी रूप में सभी धर्म कर्म पर बल अवश्य देते है।यह सत्य है कि कोई भी मनुष्य जन्म से ऊंचा नीचा नही होता है।कर्म से ही वह ऊंचा नीचा बनता है।सामान्य व्यक्ति भुल करता है ,तो समाज उसकी तुच्छ बुध्दि के कारण ध्यान नही देता।आपके सत्कर्म ही आपको राम बना सकते है और आपके दुष्कर्म रावण बना सकते है।सजगता पूर्वक जीने वाला भुल करने से बचता है।भूल हो जाती है ,यह बात सच है,लेकिन व्यक्ति सजग रहे तो व्यक्ति भयंकर हानिकारक भुल से बच सकता है।भूल भी सभी एक जैसी नही होती है।कोई भुल एक क्षण में ही समाप्त हो जाती है,तो कोई भूल में मिला देती है।रावण शक्तिशाली चिरखण्डाधिपति शासक था।उसने अपना साम्राज्य नैतिकता से ही स्थापित किया ,किंतु एक भूल कर दी सीता माता का हरण कर दिया।जैन संत ने कहा एक भूल के कारण रावण के गौरव को मिट्टी में मिला दिया।मानव भूल करता है लेकिन ऐसी भूल नही होनी चाहिए कि जिससे उसका जीवन जहरीला बन जाये और सब कुछ गंवा बैठे।सजगता का अर्थ यही है कि हम ऐसी भूलो से बचे।मुनि ने कहा जागृत होना यह तन का नही यह मन का विषय है।जो भी करो समझ कर करो।समझने का अर्थ है उसका परिणाम देखे।परिणाम पर चिंतन किये बिना ही कार्य कर बैठना भयंकर अज्ञानता है।यह अज्ञानता भयंकर दुष्कर्मो में फंसा देती है।जिसके परिणाम से व्यक्ति जीवन भर कष्ट उठाता रहता है।मानव को मानसिकता विकसित करनी चाहिए।प्रवीण मुनि ने कहा इंसान इतना स्वार्थी हो गया है कि किये गए अच्छे कर्मों का श्रेय स्वयं ले लेगा और जो बुरा काम हो गया या मन या इच्छा के विपरीत हो गया तो यह भगवान पर डाल देगा।रितेश मुमि ने कहा राम जब बन गये थे उन्होंने किसी पर भी दोषारोपण नही किया।यदि कुछ पाना है तो उसके लिए तपना पड़ेगा।सुख सुविधाओं को तिलांजलि देकर कमर कसनी होगी,यही करने का आदेश भगवान ने दिया है।प्रभातमुनि ने कहा अच्छे और बुरे कर्मो का निर्णय व्यक्ति कर कर्म पर ही निर्भर करता है।कर्म अच्छे है तो व्यक्ति अच्छा है और कर्म खराब है तो वह बुरा है।छोटी भूल का परित्याग करेगा ,वह बड़ी भूल से भी बच जाएगा।एक माँ अपने सुखों का परित्याग करके पुत्र का लालन पालन करती है।बच्चे के रोने से माँ की ममता भी रो पड़ती है।

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