*अरिहंत पद का ध्यान हमें आत्मकेन्द्रित बनाता है : आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर*
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*अरिहंत पद का ध्यान हमें आत्मकेन्द्रित बनाता है : आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर*
आठ दिवसीय नाकोड़ा पाश्र्वनार्थ अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के सातवें दिन हुए विविध आयोजन
कांतिलाल मांडोत
उदयपुर, 13 अप्रैल
श्री मोती कृष्ण गौधाम, नाकोड़ा कामधेनु पाश्र्वनार्थ मंदिर राणाकुई वल्लभनगर में चल रही आठ दिवसीय नाकोड़ा पाश्र्वनाथ अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के सातवें दिन शनिवार 13 अप्रेल को मामेरा, परमात्मा का लग्नोत्सव, राज्याभिषेक, नवलोकांतिक देव द्वारा दीक्षा की विनंती चैत्याभिषेक, गाँव सांझी, महेंदी वितरण का आयोजन किया गया। संस्था के हस्तीमल लोढ़ा एवं श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि राष्ट्रसंत आचार्य गुरुदेव चन्द्राननसागरसूरीश्व महाराज की निश्रा में सुरेखादेवी लोढ़ा चेरीटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित नवनिर्मित जिनालय की अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा में विधि कारक कल्पेश भाई सिरोड़ी अहमदाबाद वाले ने विधि विधान से अष्ठ प्रकार के मंत्रोच्चारण से पूजा विधि के कार्य सम्पन्न कराएं। आरती, मंगल दीपक, सुबह सर्व औषधी से महाअभिषेक एवं अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। कार्यक्रम में भगवान के परमात्मा का लग्नोत्सव, राज्याभिषेक, नवलोकांतिक देव द्वारा दीक्षा की विनंती चैत्याभिषेक सहित कई विषयों पर सुन्दर स्टेज नाटिका का मंचन किया गया। नाकोड़ा भैरव जी की मूर्ति भराने के लाभार्थी किरन जैन, दिनेश जैन, सागर जैन, निकिता जैन, गौरव जैन, कृतिका जैन, रिषीत जैन, रूद्रिका, दिविशा, वेदिका जैन थे। संस्था के हस्तीमल लोढ ने बताया कि बुधवार 17 अप्रेल को श्री मोती कृष्ण गौधाम-राणाकुई वल्लभनगर से भोपाल सागर के समीप करेड़ा पाश्र्वनाथ मंदिर तक पैदल यात्रा निकाली जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आचार्य चन्द्राननसागर सुरिश्वर, प्रवर्तक मुनिवर हरीशचन्द्रसागर, पुष्पचन्द्रसागर, जैनेशचन्द्रसागर, कार्यदक्ष मुनि मननचन्द्रा सागर, निपुणचन्द्रसागर, अर्हम्चन्द्र सागर, साध्वी कल्पिताश्रीजी, साध्वी चारुताश्रीजी, साध्वी आशीताश्रीजी, साध्वी रीषीताश्रीजी, नूतन बाल साध्वी पूज्यताश्रीजी आदि का सान्निध्य मिल रहा है। इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य चन्द्राननसागर सूरिश्वर ने कहां कि अरिहंत की आराधना से समाधि का जागरण होता है। समाधि-जागरण यानि आधि-व्याधि टेंशन का छुटकारा, ध्यान की एकाग्रता, विषमता का त्याग, समता की प्राप्ति। अरिहन्त पद का ध्यान करने से दो गुण उत्पन्न होते हैं- अनन्त ज्ञान और अनन्त दर्शन। इन दो गुणों के भेद प्रभेद जानकर राग-द्वेष का छेदन कर आत्मा अरिहंत पर को प्राप्त कर सकता है। अरिहंत चार घाती कर्मों के विनाशक है तथा सिह आठ रूम के महापंच नवकार में फिर भी अरिहंत पद को प्रथम स्थान प्रदान किया गया है क्योंकि ने तीर्थकर हैं, तीर्थस्थापना के माध्यम से संसार के महान उपकारी है। उनके कारण जैनधर्म की उदान क्रियाओं तथा चेष्टाओं को महाबू जल मिला है। शालत पहचान मिली है, जीवन को सफल बनाने की अनुष्य शक्ति मिली है। नमो अरिहंताणं केवल एक पद से पचास कागने पम दुख का विनाश होता है। संपूर्ण नवकार महामंत्र का जाप करने से पांचसो सागरोपम के नरक का विनाश होता है। रात्रि में संगीतकार निखिल सोनीगरा व नरेन्द्र वाणाी गोता ने अपनी स्वर लहरियों से सुर बिखरें एवं नाकोड़ा भैरव के भजनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर हस्तीमल लोढ़ा, महासभा महामंत्री कुलदीप नाहर, मंजू देवी लोढ़ा, शिल्पा लोढ़ा, अवीश, अनिषा, सान्वी लोढ़ा, देवेन्द्र मेहता, सागर जैन, हितेश जैन, गौरव जैन, रिषीत जैन, शिल्पा लोढ़ा, अवीश लोढ़ा, रोशनलाल लोढ़ा, दिनेश जैन, चांदमल लोढ़ा, मुकेश बोहरा, अमित कुमार पामेचा, दौलत सिंह सुराणा, यशवंत मण्डोत, सुनिल पगारिया, चद्रप्रकाश वागरेचा, भूपेन्द्र चण्डालिया, अनिल कावडिय़ा, चेतन चण्डालिया, अनिला विसलोत, अशोक मेहता, नाकोड़ा भक्ति मण्डल के कई श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे। इस अवसर पर नवकारसी एवं स्वामीवात्सल्य का आयोजन हुआ। आज होंगे ये कार्यक्रम
हस्तीमल लोढ़ा ने बताया कि आठवें एवं अंतिम दिन रविवार 14 अप्रेल को परमात्मा का दीक्षा कल्याणक का वरघोड़ा, दीक्षा कल्याणक स्टेज प्रोग्राम एवं रात्रि में अधिवासना, अंजन प्राणप्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित होगा।
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