चीनपड़ोसियों को कर्ज देने के बाद अपनी बात मनवाने बढ़ा सकता है दबाव*
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चीनपड़ोसियों को कर्ज देने के बाद अपनी बात मनवाने बढ़ा सकता है दबाव
मनुष्य अपनी आदत से मजबूर होता है। किसी पर किए उपकार के बदले सामन वाले व्यक्ति पर दबाव बनाकर हमेशा व्यवहार में दबाता रहता है । आज के परिपेक्ष्य में मनुष्य की आवश्यकता बढ़ी है तो आबादी भी बढ़ती जा रही है।सीमित साधनों और सीमित संसाधनों से आवश्यकता की पूर्ति नही की जा सकती है।आबादी बढ़ने के साथ जरूरते बढ़ने लगी है। देश को अर्थिक स्वावलंबी बनाने के संकल्प के साथ भौतिक साधन बढ़े है।बढ़ते खर्चे और कम आए से गृहणी का बजट भी बिगड़ जाता है तो ये देश का संचालन है।इन दिनों दुनिया मे 53 देशो की आर्थिक हालात खराब है। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान,अफगानिस्तान और श्रीलंका की आर्थिक व्यवस्था डांवाडोल हो चुकी है।भारत ने दिवालिया घोषित हुए श्रीलंका की सबसे पहले मदद की थी।अफगानिस्तान में मानवीय सरोकार के लिहाज से भारत ने अफगान सरकार को खाद्यान्न की मदद की थी।पाकिस्तान के साथ भारत के राजनयिक संबंध ठीक नही है। आतंकवाद की फैक्ट्री और भारत पर हमेशा मंडराता आतंक का साये के कारण भारत पाकिस्तान से संबन्ध विच्छेद कर चुका है।उसके अपने विचार है।उसकी जरूरत है।पाकिस्तान ने भारत को किसी भी प्रकार की कोई मदद नही मांगी है।जिस तरह से चीन पाकिस्तान को और श्रीलंका को आर्थिक कर्ज देने जा रहा है उसकी वजह से चीन के दबाव में ये देश काम करने के लिए मजबूर हो सकते।ऐसी अमेरिका की विचारधारा है।क्योंकि श्रीलंका को भारत ने सबसे पहले मदद की थी।श्रीलंका को मजबूत आधार भारत की आर्थिक मदद से मिला था। दिवालिया घोषित हुआ श्री लंका को फिर से खड़ा करने के लिए भारत की अहम भूमिका रही है।चीन के दबाव में पाकिस्तान पहले भी था और आज भी उसके तलवे चाट रहा है।अब जब पाकिस्तान की हालात खराब हुई है तब जाकर चीन की असली परीक्षा में हकीकत सामनेआई है।चीन की नजर पाकिस्तान की जमीन पर है।विस्तारवाद के भूखे चीन को हर हाल में पड़ोसियों की जमीनो को अपने कब्जे में करना चाहता हैहजारो हेक्टेयर जमीन पाकिस्तान ने चीन को गिरवी रखा है।अमेरिका की चिंता जायज है कि चीन कर्ज के बदले में इन देशों को दबाव में रखना पसन्द करेगा।अमेरिका की बार बार टकोर से परेशान चीन ने अमेरिका को दो टूक जवाब दे दिया है कि अमेरिका अपनी औकात में रहे।इतना ही नही चीन ने अमेरिका पर विकास को बाधित करने का आरोप भी लगाया है।लेकिन फिर भी चीन ने इस वर्ष में भारत से तीन गुना बजट पेश कर सैन्य ताकत बढ़ाने जा रहा है।जिससे यह अनूमान लगाया जा सकता है कि दो तीन सालोंमें चीन ताइवान पर हमला कर सकता है।चीन की हरामखोरी नीति का खुलासा उस समय हुआ ,जब चीन ने श्रीलंका को कर्ज देकर उसकी आर्थिक बदहाली की थी। अब फिर से मदद कर चीन श्रीलंका की नजर में मसीहा बनना चाहता है।अमेरिका ने इस पर दुःख व्यक्त किया है और भारत के लिए चिंता का विषय बताया है।अमेरिका चीन की कमियों को भारत के साथ साझा कर भारत और चीन के बीच विवादों की दीवार तो खड़ी नही करना चाहता है?पाकिस्तान के लोन के लिए मुकर्रर की गई धनराशि का आधिकारिक निर्णय नही लिया गया है।लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान पर अरबो डॉलर बकाया बताया जा रहा है।उसके भुगतान के लिए पाकिस्तान ने समयावधि की मांग की है।चीन श्रीलंका या पाकिस्तान को कर्ज देने की कवायद शुरू कर अदायगी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है तो भी चीन की इस मदद से पाकिस्तान के झांसे में आ सकता है,लेकिन श्री लंका नही, क्योकि श्रीलंका पहले भारत की बात मानेगा और उस पर विचार भी करेगा।
*कांतिलाल मांडोत *
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