दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार से राहुल फिर से जीरो पर बोल्ड

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*दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार से राहुल फिर से जीरो पर बोल्ड
दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस को ही हार नही मिली ,बल्कि दस साल से सत्ता में रहने वाली केजरीवाल सरकार भी धराशायी हो गई।कांग्रेस का देश मे धीरे धीरे खिसकता जनाधार से कांग्रेसियों का घमंड चकनाचूर हो गया है।शिला दीक्षित ने 15 साल तक दिल्ली में लगातार शासन करने के बाद हार का सामना करना पड़ा।कांग्रेस जिन वोटबैंक का आधार रखे हुए थी,उसके मुस्लिम वोट अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के प्रत्याशियों के झोली में चला गया,लेकिन फिर भी आप को हार का सामना करना पड़ा।कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीतियों पर मतदाताओं ने पानी फेर दिया।मुस्लिम भाजपा को वोट नही करते है।लाख कोशिश के बाद भी मोदी को मुसलमानो के वोट नही मिलते है।तीन टर्म से कांग्रेस को जीरो ही मिला है।कांग्रेस को लोकसभा की सीटें 52 से 99 हुई तो भाजपा को 400 पार के अनुमान में 240 सीटे ही प्राप्त हुई थी।पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 75 सीटे ही मिली है।
राहुल पर भरोसा करने वाली कांग्रेस ने संसद में राहुल को विपक्ष का नेता बनाया गया है।कांग्रेस का घटता जनाधार और चुनावो में करारी हार के पीछे राहुल का उन नेताओं को टारगेट करने से विपरीत परिणाम आ रहे है जिन नेताओ की साफ छवि है और सत्तारूढ़ में उनकी खास भूमिका रही है।राहुल अपनी मनमानी कर राजनीति के रंगमंच पर शायद ऐसे मुद्दे उठा रहे है जिनका कोई औचित्य नही है और जनता को उन मुद्दों का कोई सरोकार नही है।कांग्रेस के लिए गांधी सरनेम खास मायने रखता है।इसलिए राहुल को टोकने वाले कांग्रेस में कोई नही है।कांग्रेस ने पांच राज्यो में जीत का स्ट्राइक 23 प्रतिशत के हिसाब से 75 सीटे हासिल की है।मोदी ने कांग्रेस से मोमेंट्म वापस छीन लिया। अब कांग्रेस को मंथन करने की जरूरत है।कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में सीटे मिलने का कारण क्षेत्रीय दलों का साथ था।परन्तु विगत कुछ समय से इंडिया गठबंधन के विखराव से कांग्रेस का जनाधार फिर से खिसकता गया।अब बिना हथियार के कांग्रेस कुछ नही कर सकती है।।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने जिस तरह से राज्यसभा में महाकुंभ में भगदड़ में मरने वाले की संख्या हजारो बताई थी।उससे लोग कांग्रेस से नाराज हो गए।कांग्रेस का वोटबैंक खिसकने से कांग्रेसी नेताओ का मूड आक्रामक हो जाता है।इस दौरान वाणी पर संयम नही रहने से बिना विचार किये बिखराव वाली भाषा का उपयोग करते है।कांग्रेस ने महाराष्ट्र में खींचतान कर माहौल नैरेटिव बनाने की कोशिश में करारी हार का सामना करना पड़ा ।जम्मू कश्मीर में स्थानीय मुद्दे छोड़कर रास्ट्रीय मुद्दे उछालने की बड़ी भूल से मत्तदाताओ ने कांग्रेस को वोट नही किया ।कांग्रेस ने यही भूल हरियाणा में भी की थी।कांग्रेस ने झारखंड में भी अपना जनाधार खो दिया।कांग्रेस का देश मे खिसकता जनाधार कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है।कांग्रेस को अपनी विचारधारा को बदलने की आवश्यकता है।
*कांतिलाल मांडोत*

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