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मन की बात में उपलब्धियों का उत्सव, आत्मचिंतन की पुकार और भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकल्प*

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*मन की बात में उपलब्धियों का उत्सव, आत्मचिंतन की पुकार और भारत के उज्ज्वल भविष्य का संकल्प*
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम मन की बात का 129वां एपिसोड केवल एक संबोधन नहीं, बल्कि बीते वर्ष की उपलब्धियों, वर्तमान की चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं का व्यापक दस्तावेज बनकर सामने आया। यह एपिसोड देशवासियों के लिए आत्मगौरव, आत्ममंथन और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश लेकर आया। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वर्ष 2025 भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है, ऐसा वर्ष जिसमें भारत की क्षमता, सामर्थ्य और संकल्प दुनिया के सामने और अधिक मजबूती से उभरे
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर खेल, विज्ञान, नवाचार, अंतरिक्ष, संस्कृति और भारत के वैश्विक प्रभाव तक, हर क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज भारत केवल एक उभरती हुई शक्ति नहीं, बल्कि कई वैश्विक मंचों पर दिशा तय करने वाला देश बन चुका है। भारत का प्रभाव हर जगह दिखाई दे रहा है, चाहे वह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति हो, तकनीकी नवाचार हो या सांस्कृतिक पहचान।
मन की बात में ऑपरेशन सिंदूर का विशेष उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे देश का गर्व बताया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन भारत की सुरक्षा क्षमताओं, रणनीतिक सोच और सशस्त्र बलों की दक्षता का प्रतीक बन गया है। ऐसे अभियानों से यह संदेश जाता है कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करता। राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भारत की यह दृढ़ता आने वाले वर्षों में देश को और अधिक सुरक्षित तथा आत्मविश्वासी बनाएगी।
खेलों की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। खेल केवल पदक जीतने का माध्यम नहीं, बल्कि अनुशासन, टीमवर्क और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। भारत में खेल संस्कृति का विस्तार हो रहा है और युवा पीढ़ी इसे करियर के रूप में अपना रही है। यह बदलाव देश के सामाजिक ताने-बाने को भी मजबूत कर रहा है।
विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष अभियानों का उल्लेख किया। उन्होंने अंतरिक्ष महाकुंभ जैसे आयोजनों का जिक्र करते हुए कहा कि आज भारत अंतरिक्ष विज्ञान में केवल अनुसरण करने वाला नहीं, बल्कि नेतृत्व करने वाला देश बन रहा है। चंद्रयान, गगनयान और अन्य अभियानों ने भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा को वैश्विक पहचान दिलाई है। यह उपलब्धियां युवाओं को विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
प्रधानमंत्री ने अयोध्या में बने राम मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना और सभ्यतागत विरासत का प्रतीक है। राम मंदिर के निर्माण से देश में एक लंबे समय से चले आ रहे ऐतिहासिक अध्याय का समाधान हुआ है। यह घटना भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया, न्यायिक व्यवस्था और सामाजिक समरसता का उदाहरण भी है।
77वें गणतंत्र दिवस का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन हमें संविधान के मूल्यों और लोकतंत्र की ताकत की याद दिलाता है। भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है। गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड और झांकियां भारत की विविधता में एकता को दर्शाती हैं।
स्वास्थ्य के विषय पर प्रधानमंत्री ने गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते और अनियंत्रित इस्तेमाल पर देशवासियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक का अत्यधिक उपयोग भविष्य में बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकता है, क्योंकि इससे दवाएं बेअसर हो रही हैं। विशेष रूप से यूटीआई जैसी बीमारियों में दवाओं के कमजोर साबित होने पर उन्होंने दुःख प्रकट किया। प्रधानमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का सेवन न करें और जिम्मेदार नागरिक की तरह स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें।
कश्मीर के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने बारामुला के टीलों का उल्लेख किया और कहा कि ये टीलें इंसानों द्वारा बनाई गई हैं और इनके भीतर इतिहास के कई रहस्य छिपे हैं। उन्होंने फ्रांस के एक म्यूजियम में मिले एक पुराने, धुंधले चित्र का जिक्र किया, जिसमें कश्मीर का गौरवशाली अतीत झलकता है। बौद्ध परिसरों की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर केवल प्राकृतिक सौंदर्य का ही नहीं, बल्कि ज्ञान, दर्शन और सांस्कृतिक समृद्धि का भी केंद्र रहा है। यह हमें अपने इतिहास को जानने, समझने और संरक्षित करने की प्रेरणा देता है।
मणिपुर के एक युवा की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि किस प्रकार उसने बिजली की समस्या से निपटने के लिए सोलर पैनल लगाए। यह उदाहरण आत्मनिर्भरता, नवाचार और स्थानीय समाधान की सोच को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे प्रयास न केवल समस्याओं का समाधान करते हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी बनते हैं।
भारत की सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक प्रभाव को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने दुबई में कन्नड़ भाषा के संरक्षण और फिजी में तमिल दिवस के आयोजन का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे एक कन्नड़ परिवार ने विदेश में रहते हुए भी कन्नड़ भाषा की शुरुआत की, बच्चों को कन्नड़ लिखना और पढ़ना सिखाया जा रहा है। यह भाषा और भूमि के प्रति गर्व की भावना का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाएं हमारी पहचान हैं और इन्हें जीवित रखना हर भारतीय का दायित्व है।
स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरी का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। उनका जीवन साहस, त्याग और देशभक्ति का प्रतीक है। ऐसे नायकों और नायिकाओं की कहानियां हर पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन करती हैं। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि आजादी दिलाने वाले इन महान व्यक्तित्वों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाए, ताकि युवाओं को यह समझ में आए कि आज जो स्वतंत्रता हमें मिली है, उसके पीछे कितने बलिदान छिपे हैं।
प्रधानमंत्री ने मन की बात के माध्यम से 2026 की चुनौतियों और संभावनाओं की ओर भी संकेत किया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष विकास, तकनीक और मानव संसाधन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण होंगे। भारत को अपनी युवा शक्ति, नवाचार क्षमता और सांस्कृतिक विरासत के बल पर नई ऊंचाइयों को छूना है। इसके लिए आत्मविश्वास के साथ-साथ जिम्मेदारी की भावना भी जरूरी है।
मन की बात का यह एपिसोड केवल उपलब्धियों का बखान नहीं था, बल्कि यह एक सामूहिक चिंतन था। इसमें गर्व भी था, चेतावनी भी, प्रेरणा भी और भविष्य की स्पष्ट दिशा भी। प्रधानमंत्री ने यह संदेश दिया कि भारत की यात्रा केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है। जब देश का हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों को समझेगा और निभाएगा, तभी भारत सच्चे अर्थों में विकसित राष्ट्र बनेगा।
इस तरह मन की बात का 129वां एपिसोड भारत की आत्मा की आवाज बनकर उभरा, जिसमें अतीत का सम्मान, वर्तमान का आत्मविश्लेषण और भविष्य का आत्मविश्वासी संकल्प स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।

    *कांतिलाल मांडोत वरिष्ठ पत्रकार*

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