नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9974940324 8955950335 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , धन तेरस पर स्नेह और सेवा का करें विकास* – भारत दर्पण लाइव

धन तेरस पर स्नेह और सेवा का करें विकास*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*धन तेरस पर स्नेह और सेवा का करें विकास*
आज धन तेरस है।धन शब्द का प्रयोग होते ही हमारे मन का कण कण खिल उठता है।आज हर एक व्यक्ति के चेहरे पर एक अलग मुस्कान अठखेलियाँ कर रही है।हर एक के मन मे यही भावना कामना रहती है कि धन की वृद्धि होती रहे।प्रत्येक की आकंक्षा है कि हमारे आंगन में धन का अंबार लगा रहे।धन तेरस के दिन धन्वंतरि का जन्म दिवस मनाया जाता है।धन्वतरि के हाथ मे रहा हुआ अमृत कलश इस बात का संसूचक है कि संसार के रोगों को समाप्त करने के लिए धन्वंतरि ने इस संसार को ओषध रूपी अमृत प्रदान किया।धन्वतरि का लक्ष्य ही यह रहा कि मानव जगत के आरोग्य के लिए मैं सतत प्रयत्नशील रहूं।कहा जाता है कि इस पर प्रसन्न होकर भगवान ने धन्वन्तरी से कहा -तुम जो भी चाहो,मेरे से वरदान मांग सकते हो।इस पर धन्वतरि से भगवान से निवेदन करते हुए कहा-है प्रभु आपने मुझ पर बड़ी कृपा कर अमृत वृष्टि की,पर मुझे न तो राज्य चाहिए और न ही मुझे स्वर्ग में रहने की आकांक्षा है।

पुनर्जन्म की भी मेरी इच्छा नही है।मेरे मन की एक ही इच्छा है कि संसार के दुःखी, रोगी और पीड़ित जनों की पीड़ा को दूर करता रहूं।इस तरह के प्रसंग हमे प्रेरणा देते है कि हम सतत परोपकार के पथ पर गतिशील रहे।परोपकार एक तरह से स्वयं पर ही उपकार है।हमे परोपकार के क्षेत्र में कभी भी उपेक्षा का भाव अपने मन मे नही आने देना चाहिए।परोपकार को भारतीय चिंतन ने सबसे बडी धर्म की संज्ञा दी है।
धन तेरस के दिन चांदी नए बर्तन आदि खरीदने की भी एक परम्परा है और इस परम्परा का हम निर्वाह कर रहे है।धन तेरस के अवसर पर कुछ विशिष्ट संकल्पो को अपने मन मे जागृत करने की जरूरत है।हमे अपने धन का प्रयोग अच्छी प्रवृतियों में करना चाहिए।जो धन प्रवृतियों में लगता है,दरअसल वही धन हमारा अपना है।धन को एकत्रित करके तिजोरियों में कैद करने की भूल नही करे।हमारे पास कुछ है तो हमे ही कुछ देने के लिए कहा जाता है।मुर्दे के पास देने के लिए होता ही क्या है?उससे कोई भी किसी भी प्रकार की अपेक्षा नही करता है।स्नेह सद्भाव ओर परोपकार का दृष्टिकोण यदि बन सका तो धन तेरस का मानना हर तरह से सार्थक साबित होगा।

परहित से बड़ा कोई दूसरा कोई धर्म नही है।कहा भी है-परहित सरिस धर्म नही भाई।हम शक्ति सामर्थ्य से परहित कर सकते है।धन जितना भी हमारे पास है और जितना हमारे हाथ मे आता है,उसमे से दस पांच प्रतिशत की मात्रा परहित में-,दीन -दुखियों की सेवा में लगाये।धन बढ़ाने का यह अचूक नुस्खा है।ज्यो ज्यो धन का वितरण होगा।त्यों त्यों हमारा धन बढ़ेगा।किसान मिट्टी में एक मुठ्ठी अन्न डालता है तो धरती झोली भरकर लौटाती है।धर्म का क्षेत्र मिट्टी से गया बीता नही है,जो हमारे धन को बढ़ा कर नही लौटायेगा।
                         

             

                       कांतिलाल मांडोत

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031