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*धार्मिकता और विकास की पहली शर्त निर्भयता-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*धार्मिकता और विकास की पहली शर्त निर्भयता-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा24 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ के तत्वावधान में उमरणा में धर्मसभा का आयोजन हुआ।जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि भयान्वित जीवन में न धर्म है और न ही भौतिक विकास । धर्मानुपालन और व्यवस्थित विकास के लिये जीवन में निर्भयता पूर्ण मनः स्थिति का होना नितान्त आवश्यक है ।अपराध ही भय का केन्द्र है। अपराध जहां होंगे वहां भय होगा ही । निर्भय बनना हो तो अपराधी मनोवृत्ति से मुक्त हो जाओ। परिवार समाज और राष्ट्र के बीच जीवन जीना है तो इनसे सम्बन्धित नियमों का पालन करना ही होगा । संत ने कहा नियम भंग कर के अपराधी बन जाने पर तो भयभीत होना पड़ेगा । उस स्थिति में असत्य चालाकी, आदि अनेक नये अपराधों का जन्म हो जाएगा । अपनी सुरक्षा के लिये और अपराध की सजा से बचने के लिये व्यक्ति और नये अपराध कर बैठता है। इस तरह जीवन में अपराधी मनोवृति का निर्माण हो जाता है। मानव जीवन का यह ऐसा पतन है कि जिस से उभर पाना अत्यन्त कठिन हो जाता है ।निर्भयता पूर्ण गरीबी भी धन्य हो जाती है किन्तु भयान्वित अमीरी भी निरर्थक है ।आज चारों तरफ भय व्याप्त है इसका कारण है व्यक्ति धर्म के मौलिक सिद्धान्तों को खोकर जी रहा है। जैन संत ने कहा धर्म ने मानव को सीमित साधनों में जीने का संदेश दिया । अहिंसा और सत्य पूर्ण जीवन रचने की कला प्रदान की किन्तु आज का मानव इन सभी आदशौं को भुलाकर केवल अर्थ संग्रह के पीछे भाग रहा है । अर्थान्धता की ऐसी भयंकर दौड़ में आदर्शों का पालन होना संभव नहीं । सर्व प्रथम व्यक्ति को पवित्र साधनों में विश्वास करना चाहिये । पारिवारिक निर्वाह में भी सादगी और तथ्य पूर्ण कर्तव्यों पर जोर देना चाहिये आडम्बर और दिखावे की व्यवस्थाओं से बचना चाहिये । आडम्बर दिखावों के अति व्यय से गृहस्थ जीवन में भयंकर विक्षेप आ जाता है । और उन की पूर्तियां करने के चक्कर में व्यक्ति अनेक अपराध करने लगता है । सत्य और सार स्वरुप जीवन जीना यही धर्म का मौलिक संदेश है । न जाने भारत के धार्मिक धर्म का यह संदेश कब सुनेंगे ।
अभी तो चारों तरफ आडम्बर और भौतिक चकाचौध का विस्तार होता जा रहा है। भारत के पिछड़े बने रहने का एक यह भी मुख्य कारण था। रितेश मुनि ने कहा कि सत्य को साक्षी की जरूरत नही है।सत्य हमेशा उज्ववल होता है।आज समाज मे सत्य घर कर गया है।हमे सत्य को आचरण में लाना चाहिए।प्रभातमुनि ने मंगलाचरण किया और कहा कि धर्म शाश्वत सत्य है।धर्म के बिना जीवन अधूरा है।धर्म से जुड़ने की कोशिश करनी चाहिए।

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