ढूंढ हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल*
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ढूंढ हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल*
परम्परागत राजनीति के व्याकरण को बदल देने का भ्रम पालने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब ढूंढ पेड़ ही रह गए है।नेतृत्व की ताकत उनसे निकल गई।ऐसा नही होता तो कपिल मिश्र के गंभीर आरोपो पर उनके समर्थक सड़क पर उतर आते।एक जन आंदोलन में विश्वासघात कर सत्ता की राजनीति के लिए जब आप पार्टी बनाई गई तो तभी से उसका क्रमिक क्षरण प्रारंभ हो गया।पांच बार ईडी ने समन भेजने के बाद कानून को मुट्ठी में रखने का सपना संजोए केजरीवाल ईडी के दफ्तर नही जा रहे है।ईडी पर निशाना साधते हुए कहा कि ईडी भाजपा के इशारों पर कार्य कर रही है।निष्पक्ष जांच ऐजेंसी ने केजरीवाल को तथाकथित शराब घोटाले पर पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर बुलाया गया है।भारत की अदालतों और कानून का स्पष्ट नियम है कि दोषी भले ही छूट जाए,लेकिन निर्दोष को सजा नही होनी चाहिए।इसको ध्यान में रखकर केजरीवाल को जांच एजेंसियों की पूछताछ में मदद करनी चाहिए।
शुरुआती दौर में आप को समाज मे गरिमामय स्थान मिला था।लेकिन केजरीवाल के जूठे वादे और जनता को गुमराह करने से प्रजातंत्र के हिमायतियो ने जुठ को बाहर निकाल फेंका है।
जिस अन्ना के कंधे पर सवार होकर अरविंद केजरीवाल नेता बने,उन्हें भुला दिया।जेल मे बन्द भ्रष्टाचारियो को भगतसिंह जैसे शूरवीरों के साथ तुलना करने वाले भूल गए थे कि उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए कुर्बानी दी दी।हम उनके पैर की धूल की बराबरी नही कर सकते है। ये वो ही केजरीवाल है जिन्होंने कहा था कि 75 साल बाद देश को एक ऐसा शिक्षा मंत्री मिला है जिसने गरीबो को अच्छी शिक्षा देकर सुनहरे भविष्य की उम्मीद जगाई।अरविंद केजरीवाल साहस कर चले तो भी उनका डूबना तय है।कितने दिन ईडी को गुमराह किया जाएगा।केजरीवाल चतुर है ।लेकिन देश उनको धूर्त मानने लगा है।अरविंद केजरीवाल की राजनीति विनाशक है।दिल्लीवासियों को मालूम था कि वे आदर्श सरकार चलाएंगे।वे नया रास्ता बनाएंगे।लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे उनके नेताओ को बचाने में ऐड़ी चोटी का जोर लगाया,लेकिन जो कानून में प्राविधान था।वैसा ही हुआ।
अरविंद केजरीवाल की नकारात्मक और मोदी से लड़ना ही उनकी प्राथमिकता थी।अगर आप ईमानदार रहते और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करते तो आप की यह दुर्दशा नही होती,जो हो गई है।कुम्हार के यहाँ मटका लेने जाने वाले ग्राहक ठोक बजाकर खरीदते है क्योंकि घर जाने के बाद फूटा निकल गया तो क्या होगा।हम तो इंसान है इंसान को परखने की शक्ति हर व्यक्ति में विधमान है।हेमंत सोरेन की जो दशा हुई है।वह हम सबके सामने है।सत्यनिष्ठ व्यक्तित्व पर अंगुली उठाने वाले यह भूल जाते है कि एक अंगुली सामने वाले पर निशाना साध रही है,लेकिन चार अंगुली हमारे को निर्देशित कर रही है। सत्य को साक्षी की जरूरत नही होती है।
कांतिलाल मांडोत
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