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गणेशमुनि शास्त्री का स्मृति दिवस उमरणा के भवन में धूमधाम से मनाया,संतो का सेमड गांव में विहार*

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*गणेशमुनि शास्त्री का स्मृति दिवस उमरणा के भवन में धूमधाम से मनाया,संतो का सेमड गांव में विहार*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 17 नवम्बर
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उमरणा के स्थानक भवन में आज संतो के सानिध्य में राष्ट्र संत गणेशमुनि शास्त्री का 10वा स्मृति दिवस मनाया गया।दूर दूर से लोगो का आवागमन हुआ।उदयपुर से उदयपुर श्रमण विहार समिति के सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज करवाई।जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि गणेशमुनि ने अनेक विधाओं में साहित्य सर्जना की है।गणेशमुनि शास्त्री के हाथ मे हमेशा कलम रहती थी।उनके अनेक संस्करण प्रकाशित हुए है।

मुनि ने कहा कि धर्म के विविध पक्षों को लेकर उन्होंने अनुशीलनात्मक साहित्य की रचना भी की है।प्रवचन में लोक जीवन की उदात्तता, जीने की कला और मानवता की महक है तो आत्मा का श्रृंगार,तत्व की उपादेयता और जन्म मरण को समझने का दिशा बोध भी है।रितेश मुनि ने स्मृति दिवस पर गणेशमुनि मसा की जीवन की विशेषताओं पर श्रावको का ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि गणेशमुनि शास्त्री उदारमना थे सरल स्वभाव एवं प्रेम बरसाने वाला वव्यक्तित्व थे।मुनि ने कहा कि समय समय पर उनका उदयपुर सेक्टर 11 में संतो के दर्शन के लिए आनाजाना होता ही था।उनका मुझ पर विशेष स्नेह था।उनके प्रवचनों में सरलता का मधुर संगम था।भावो और भाषा मे सम्प्रेषणीयता थी।

गणेशमुनि जो भी बात कहते वह बहुत ही रोचक और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते थे।रितेश मुनि ने कहा कि महाश्रमण उनके शिष्य रत्न है और गणेशमुनि ने कठिन परिश्रम कर इनका दिव्य जीवन बनाया है जो आज जैन समाज को दिशा निर्देश कर युवाओ को तराशने का काम कर रहे है। प्रभातमुनि ने कहा कि गणेशमुनि शास्त्री के अनुभवो से संवरा जीवन हम सभी को मार्ग प्रसस्त कर रहे है।मुनि ने कहा कि शास्त्री श्रोताओं के ह्दय को झकझोर कर रख देते थे।गणेशमुनि ने वाणी की शक्ति को जगाया।प्रवचन शक्ति द्वारा वे जनता को अध्यात्म और नैतिकता का प्रकाश दे रहे है।प्रवीण मुनि ने कहा मानव का भव पाया है।मनुष्य होने के नाते हमे अपनी स्वयं की पहचान होनी चाहिए।आत्मा की पहचान ही स्वयं की पहचान है।उमरणा भवन में गुरु की महिमा में भजन एवं गुरुभक्ति के भाव प्रस्तुत किये।महिलाए ने भाग लिया।मेहमानों का स्वागत किया।महावीर जैन गोशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा ने संचालन किया। गोतम प्रसादी रखी गई थी।संतो का विहार समीपवर्ती सेमड गांव में हुआ

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