*गोगुन्दा के उमरणा के स्थानक भवन में संतो की निश्रा में उपाध्यक्ष पुष्कर मुनि की जन्म जयंती एवं दीक्षाजयंती का भव्य आयोजन*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 13 अक्टूबर
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ महावीर जैन गोशाला के स्थानक भवन में संतो की निश्रा में उपाध्याय पुष्करमुनि मसा की 115वी जन्म जयंती,राष्ट्रसंत गणेशमुनि मसा की 79वी दीक्षा जयंती एवं जिनेन्द्रमुनि मसा की 62वी दीक्षा जयंती का आयोजन किया गया।उदयपुर विहार समिति के सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज कराई।अनेक शहरों से श्रावक श्राविकाओं का आगमन हुआ।जिनेन्द्रमुनि मसा की दीक्षा जयंती पर संतो ने अपने भावों के माध्यम से शुभकामनाऐ प्रेषित कर लम्बी आयु की कामना की गई।
प्रवीण मुनि ने कहा कि पुष्करमुनि मसा साधना के शिखर पुरुष थे। उपाध्याय पुष्करमुनि मसा का व्यक्तिव फूलो के गुलदस्ते की भांति विभिन्न सद्गुणों के सौरभ से सुरभित था।वे उच्चकोटि के विद्वान थे तो दूसरी और सफल साधक थे।ज्ञान की साधना की महिमा से व्यक्तित्व के दोनों छोर कसे हुए थे।रितेश मुनि ने कहा उपाध्याय के जीवन मे विन्रमता रची बसी हुई थी।उपाध्याय ज्ञान के महासागर थे।साधना के शिखर तक पहुंचे हुए थे।किंतु इतना सब होते हुए भी अहंकार उनके समीप कभी नही आ सका।समय के पाबन्द थे।जिनेन्द्रमुनि मसा राष्ट्रसंत गणेशमुनि मसा के सुशिष्य थे।चातुर्मास में लोग गणेशमुनि मसा के प्रवचनों से प्रभावित और लाभान्वित हुए।गणेशमुनि के प्रवचनों में लोक जीवन की उदादत्ता, जीने की कला और मानवता की महक है तो आत्मा का श्रृंगार तत्व की उपादेयता और जन्म मरण को समझने का दिशाबोध भी था।उपाध्याय पुष्करमुनि मसा एवं जिनेन्द्रमुनि मसा ग्वाले थे।उपाध्याय पुष्करमुनि एवं जिनेन्द्रमुनि मसा का जीवन सामान्य व्यक्ति की भांति तल से प्रारंभ होकर एक अलौकिक पुरुष के रुप में शिखर आरोहण का जीवंत उदाहरण सबके समक्ष है।अलौकिक संस्कार छुपे हुए होते है,अमित उज्ज्वल संभावनाओ की ज्योति पल्लवित होती है।भारत के प्रथम राष्ट्रपति ड्रॉ राजेन्द्र प्रसाद, देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मोराजी देसाई,गुरुदेव राजश्री टंडन कुशल राजनीतिज्ञ सुखाड़िया बाबू जगजीवन राम राष्ट्रपति ज्ञानी जेलसिह एवं उदयपुर महाराणा महेंद्र सिंह तथा गुलाबसिंह शक्तावत आदि महानुभावों ने आपश्री का दर्शन कर उपाध्याय के स्नेह और सोजन्यपूर्ण व्यवहार से प्रभावित हुए।जिनेन्द्रमुनि मसा ने समय समय पर दिये प्रवचन को संकलित किया।संतो की वाणी से समाज अभिभूत है।संत रत्न उपाध्याय पुष्करमुनि मसा राष्ट्र संत गणेशमुनि मसा ने महान जीवन को धारण करके समाज का बहुत बड़ा उपकार किया है।उन्होंने एकता का आंदोलन चलाया।आज महाश्रमण जिनेन्द्रमुनि मसा एकता और एक सूत्र में पिरोये रखे हुए है।प्रभातमुनि ने दीक्षा जयंती पर जिनेन्द्रमुनि मसा की दीर्धायु की कामना की गई।इस अवसर पर उदयपुर से श्रावको का आगमन हुआ।गुरुदेव जिनेन्द्रमुनि मसा की 62वी दीक्षा जयंती पर 62 इनाम वितरित किये ।जिसमे कूपन खोलकर पारितोषिक दिया गया।इस बीच प्रभावना वितरित की गई।उमरणा गोशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा ने संचालन किया ।स्थानीय सेहरा प्रान्त से अनेक श्रावक श्राविकाएं उपस्थित हुए।हिमत भोगर,सुरेश तलेसरा मांगीलाल वास महावीर घटावत गोपाल लोढ़ा नानालाल सुथार वच्छराज घटावत शांतिलाल बम्बोरी देवेंद्र तलेसरा प्रकाश टेलर हीरालाल ढालावत भैरू लाल बम्बोरीआदि अनेक महानुभाव उपस्थित रहे।गौतम प्रसादी रखी गई।जन्म जयंती एवं दीक्षा जयंती के उपलक्ष्य में गीताका प्रस्तुत की गई।उदयपुर में श्रमण संघ भवन बनाने के लिए चर्चा की गई।सैकड़ो श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे। और अपने भाव प्रस्तुत किये।जिनेन्द्रमुनि मसा ने मंगल पाठ किया और मंगलीक सुनाया।इस बीच जिनेन्द्रमुनि मसा के सांसारिक भाई एवं रितेश मुनि का दर्शन लाभ लेने उनके सांसारिक गांव से लोगो का आवागमन हुआ।
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें
Advertising Space