गोगुन्दा के तरपाल गांव में जलझूलनी एकादशी के पावन उपलक्ष में शोभायात्रा निकाली
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गोगुन्दा के तरपाल गांव ने जलझूलनी एकादशी के पावन उपलक्ष में शोभायात्रा निकाली
उदयपुर 25 सितम्बर
कांतिलाल मांडोत
उदयपुर जिले के गोगुन्दा के तरपाल में आज जलझूलनी एकादशी पर भगवान को पालकी में बैठाकर शोभायात्रा निकाली।इस पावन उपलक्ष में सैकड़ो ग्रामीण शोभायात्रा में शामिल हुए।परिवर्तनी का महत्व इस दिन भगवान विष्णु के वामन रूप कि पूजा की गई ।व्रत भी किया गया। आज के दिन व्रत करने में पौराणिक मान्यता है कि व्रत करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में वृद्धि होती है। एक मान्यता के अनुसार आज के दिन माता यशोदा ने जलाशय पर जाकर श्री कृष्ण के वस्त्र धोए थे, इसी कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है।
मंदिरों में भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम को पालकी में बिठाकर पूजा-अर्चना के बाद ढोल-नगाड़ों के साथ शोभा यात्रा निकाली गईं ।इसको देखने के लिए लोग उमड पड़े ।लोगो ने दण्डवत प्रणाम भी किया।धर्म ग्रंथों के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी पर व्रत करने से सभी पाप नष्ट होते हैं एवं वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।इस मान्यता के अनुसार एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा की गई। जिस पर श्रद्धाभिभूत होकर पूजा करने के पीछे धारणा रही है कि वो तीनों लोक एवं त्रिदेवों की पूजा कर लेता है। तरपाल में शोभायात्रा गांव के बीच होकर चारभुजा मन्दिर स्थित सरोवर तक पहुंची।वहां पुजारी खिमजी ने पानी मे खड़े रहकर भगवान को स्मरण कर प्रणाम किया गया।इसमे महिला और पुरुष सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए थे।पालकी यात्रा में खिमजी पुजारी उपसरपंच भगवतसिंह राणावत गोविंदसिंह राणावत खमानसिह राजपूत,भरत सोनी,नानालाल सुथार, भंवरलाल सुथार,गणेश श्रीमाली,बंशीलाल श्रीमाली, मुकेश लखारा,प्रकाश टेलर एवं अन्य ग्रामीण शामिल रहे।
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