हिमाचल प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री को बड़ा झटका,पत्नी को हर महीने चुकाना होगा चार लाख रुपए*फ़

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*हिमाचल प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री को बड़ा झटका,पत्नी को हर महीने चुकाना होगा चार लाख रुपए*
कांतिलाल मांडोत
उदयपुर 16 जनवरी
हिमाचल प्रदेश के पीडब्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उन्हें हर महीने पत्नी सुदर्शना सिंह को 4 लाख का भरण-पोषण देना होगा। उदयपुर पारिवारिक न्यायालय-3 ने अहम फैसला सुनाया है। विक्रमादित्य सिंह हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे है। उनकी पत्नी सुदर्शना सिंह उदयपुर के आमेट निवासी है।भद्र सिंह के बेटे और वर्तमान कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह पर उनकी पत्नी सुदर्शना सिंह ने घरेलू हिंसा के आरोप लगाए थे। आज पारिवारिक न्यायालय ने विक्रमादित्य सिह को आदेश देते हुए हर महीने चार लाख रुपए भरण पोषण की मसमोटी रकम चुकाने होंगे।
यह पिछले वर्षों में सबसे बड़े रकम है।विक्रमादित्य की मां प्रतिभा सिंह, बहन के अलावा अन्य परिजनों पर भी पत्नी ने प्रताड़ना के आरोप लगाए।विक्रमादित्य की पत्नी सुदर्शना के वकील ने बताया कि राजसमंद के आमेट राजघराने की बेटी की शादी 8 मार्च 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य के साथ हुई थी।काफी समय साथ रहने के बाद दोनों के बीच संबंध बिगड़ गए. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद सुदर्शना सिंह को उदयपुर भेज दिया गया। इस दौरान उन दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। सुदर्शना चूंडावत ने घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम की धारा 20 के तहत उदयपुर कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। सुदर्शना ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि विवाह के बाद वो अपने ससुराल शिमला आई और कुछ ही समय बाद उसके साथ मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना की जाने लगी।सुदर्शना ने अपनी शिकायत में कहा कि उसका विवाह विधायक विक्रमादित्य सिंह के साथ 8 मार्च 2019 को हुआ था। ये विवाह हिंदू रीति रिवाज से राजस्थान के कणोता गांव में हुआ था। शादी के बाद वो ससुराल में आ गई। यहां उसके साथ प्रताड़ना शुरू हो गई। शिकायत के अनुसार विधायक के परिवार ने उसके परिजनों यानी सुदर्शना के रिश्तेदारों को शिमला बुलाकर उसे जबरन उदयपुर भेजने का आरोप है। सुदर्शना ने अपनी शिकायत में अदालत से आग्रह किया है कि उसके ससुराल वालों को शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना न करने के लिए कहा जाए। साथ ही उसे अलग से रहने के लिए मकान की व्यवस्था करने के आदेश भी पारित किए जाएं।

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