जसवंतगढ़ निवासी मुमुक्षुरत्ना कुमारी शैली संयम पथ पर,14 दिसम्बर को अंगीकार करेगी दीक्षा*
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*जसवंतगढ़ निवासी मुमुक्षुरत्ना कुमारी शैली संयम पथ पर,14 दिसम्बर को अंगीकार करेगी दीक्षा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 11 दिसम्बर
उदयपुर जिले के गोगुन्दा तहसील के जसवंतगढ़ निवासी भोगर परिवार की बेटी दीक्षा ग्रहण करने जा रही है।जसवंतगढ़ ज्योति दिलीपकुमार भोगर की पुत्री मुमुक्ष कुमारी शैली संयम पथ अपना कर दीक्षा ग्रहण करने जा रही है। माता पिता की आज्ञानुवर्ती कुमारी शैली मायारूपी झाल से दूर रहकर साध्वी बनने जा रही है।दादी सोहन बहन और दादा राजमल भोगर का नाम रोशन करने के लिए भगवती दीक्षा ग्रहण करेगी।मानव जीवन बंधनो का जाल है।संसार मे रहकर आत्मा पर चढ़े विकारो को नष्ठ नही कर सकते है।मुमुक्षु कुमारी शैली ने मात्र 16 वर्ष की अल्पआयु में भगवान महावीर के चरणों मे सबकुछ समर्पित करने के लिए आगामी 14 दिसम्बर को भगवती दीक्षा ग्रहण करेगी।गोगुन्दा के जसवन्तगढ़ में मुमुक्षु शैली कुमारी की शोभायात्रा निकाली गई।सैकड़ो लोग शोभायात्रा में शामिल हुए।मुमुक्षु शैली स्थानकवासी सम्प्रदाय को छोड़कर मूर्तिपूजक सम्प्रदाय में दीक्षा ग्रहण करने जा रही है।महाराणा प्रताप की जन्म स्थली की इस पवित्र धरा से अनेक साधु साध्वियों ने मोक्षप्राप्ति हेतु संयम पथ पर चलकर जीवन को धन्य किया है।इस बंधन से स्वयं को मुक्त करके बाहर निकल जाते है,वह साधु बन जाता है।संसार मे हर और सुरीले मनोहारी शब्दो के जाल फैले है लेकिन साधरण मानव की क्षमता नही होती है कि वह जाल से मुक्त हो सके।संयम पथ पर ही आत्मा का कल्याण किया जा सकता है।साधु साध्वियों के लिए भगवान के द्वारा बनाए गए पांच महाव्रत का पालन करना होता है।इन महाव्रतों को संसार मे रहकर पूर्ण नही कर सकते है।ये पांच महाव्रत ही मोक्षदायिनी है।इसलिए भगवती दीक्षा से ही संभव है।जैन धर्म का नाम रोशन करने निकली मुमुक्षु शैली कुमारी को वैराग्य विरासत में मिला है।क्योंकि संयम की साधना, प्रतिज्ञा का पालन,वास्तविक धर्म की आराधना में बड़े बड़े योद्धा कायर बन जाते है।।जहाँ ज्ञानियो के ज्ञान,ध्यानियों का ध्यान,तपस्वियों का तप,व्रतधारियों का व्रत डांवाडोल हो जाता है।लेकिन वे ही धर्म के मर्म को समझने वाले ही चल सकते है।क्योकि यह साधना बहुत बड़ी साधना है।जिसका पालन कर समाज मे ज्ञान के बीजारोपण से समाज को मजबूत बनाने का कार्य साधु साध्वियों के नेतृत्व में हो रहा है।जैन धर्म मे अंधविश्वास का कोई स्थान नही है।जिनको वैराग्य आता है उनके जीवन को प्रभु के नाम कर आत्मा के कल्याण के लिए समवसरण में कूद पड़ते है।वासना को निर्मूल कर संयम पथ पर आगे बढ़कर हजारो साधु साध्वियों ने जैन धर्म को देदीप्यमान किया है।संयम साधना का सुनहरा चित्र है।
विचारों में और भावना में संयम धारण कर जसवंतगढ़ की बेटी आत्म कल्याण के लिए जीवन पथ पर संयम ,तप, त्याग कर जीवन उपवन को सजाने व खिलाने के लिए दीक्षित होने जा रही है।समूह दीक्षा महोत्सव योगतिलकसुरीश्वर म सा की निश्रा में भामरतीर्थ बनासकांठा गुजरात मे संपन होगी।28 नवम्बर को मुमुक्षु शैली की विदाई समारोह और भव्य शोभायात्रा का आयोजन सूरत में किया गया। मुमुक्ष कुमारी शैली की शोभायात्रा जसवंतगढ़ में भी 15 और 17 नवम्बर को निकाली गई थी।10 दिसम्बर से 14 दिसम्बर तक अनेक कार्यक्रम का आयोजन रखा गया है।
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