नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9974940324 8955950335 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , क्रोध एक क्षणिक पागलपन है,आवेश में उठाया गया कदम अहितकारी -जिनेन्द्रमुनि मसा* – भारत दर्पण लाइव

क्रोध एक क्षणिक पागलपन है,आवेश में उठाया गया कदम अहितकारी -जिनेन्द्रमुनि मसा*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*क्रोध एक क्षणिक पागलपन है,आवेश में उठाया गया कदम अहितकारी -जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 5 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ के तत्वावधान में उमरणा स्थानक भवन में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि क्रोध एक पागलपन है।क्रोध में लिया गया निर्णय पश्चाताप पर खत्म होता है।समाज मे जिस तरह से विकृति फैल रही है।उसे नकारा नही जा सकता है।समाज मे बढ़ती वैमनस्यता हिंसात्मक प्रवृतियों को बढ़ावा दे रही है।क्रोध के वशीभूत व्यक्ति गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर हो जाता है शास्त्रों में विकार से दूर रहने के लिए कहा गया है ।पढ़ा लिखा सभ्य व्यक्ति असंगत की परिधि में कैद होकर अनुचित कर बैठता है तब उसकी अज्ञानता पर तरस आता है।विकृत मानसिकता दूसरे का नुकसान करती ही है।परंतु स्वयं भी ग्लानि रूपी आग से बच नही सकता है।आज समाज मे बढ़ती महत्वकांक्षा और आर्थिक सामंजस्य से व्यक्ति व्यक्ति होड़ लगाकर अपना समय ही नही जीवन भी बर्बाद करता प्रतित हो रहा है।जर जमीन और जोरू इस कहावत आज के परिपेक्ष्य में सफल होती दिखाई दे रही है।आवेश में आकर इंसान इतना हैवान बन जाता है कि अपने माता पिता और सहोदर की हत्या करने में हिचकिचाहट महसूस नही करता है।यह समाज की वास्तविकता है।समाज मे बढ़ते मनमुटाव और जमीन के झगड़ो में दिल की दूरियां बना ली है।फिर उस तरफ मुडकर नही देखते है।समाज में बढ़ती विकृतियों से सभ्य समाज क्षुब्ध है।रीतेश मुनि ने कहा कुछ व्यक्ति अज्ञानता के पक्ष धर रहते हैं वे कहते है अज्ञानी बना रहना अच्छा है। इसमें पाप कम लगता है।ज्ञानी बनकर फिर कोई पाप करेगा तो वह अधिक दोषी होगा क्यों कि वह तो जानता है। जानते हुए जहर खा रहा है तो वह तो अधिक दोषी है ही। हम कुछ भी न समझें, न समझने का, जानने का यत्न करें। अनजान में सारे पाप होंगे । अनजाने को तो भगवान भी माफ कर देते हैं ऐसी बातें होती है अज्ञानियों की । ये बातें एकान्त मूर्खता पूर्ण और हेय है।
अज्ञानता में किया पाप कम नहीं होता है और न कोई ईश्वर उसे माफ करता है। अज्ञानता में खाया जहर भी मौत की खाई में डाल ही देगा चाहे व्यक्ति अनजान ही क्यों न बना रहे। जिसने जान कर जहर खा लिया है वह तो तत्काल उसका उपचार भी कर सकता है किन्तु अनजाने में खाया वह अपना क्या उपचार करायेगा पता नहीं कि उसने कौनसा जहर खा लिया है।प्रवीण मुनि एवम प्रभातमुनि मसा ने अपने भाव रखे।शांतिलाल बम्बोरी वच्छराज घटावत नानालाल सुथार पारस भोगर हिमत भोगर भैरूलाल बम्बोरी ललित दर्जी मिठालाल दर्जी और शांतिलाल भोगर गलिवाला उपस्थित रहे।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

October 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031