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*मैकाले और मार्क्स के प्रभाव से मुक्त होकर भारतीय शिक्षा एवं जीवन पद्धति को अपनाने का समय : सुधांशु त्रिवेदी*

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*अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के 9 वें राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन*

*मैकाले और मार्क्स के प्रभाव से मुक्त होकर भारतीय शिक्षा एवं जीवन पद्धति को अपनाने का समय : सुधांशु त्रिवेदी*
कांतिलाल मांडोत
जामडोली जयपुर 7 अक्टूबर

आज अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का राष्ट्रीय अधिवेशन जयपुर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सीमा से समाज तक विषय पर अपना उद्बोधन देते हुए कहां कि जहां कुछ वर्षों पूर्व हमें शक्तिशाली एवं बड़े देश होने के बाद भी पडौसी छोटे देश का डर सताता था, लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सीमा पर ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेना ने अप्रतिम एवं अद्वितीय शौर्य का प्रदर्शन कर पड़ौसी देश की सीमाओं में 150 से 300 किलोमीटर अंदर जाकर उनके एयर डिफेंस पर मिसाइलें गिराई उसे तबाह कर दिया और आतंकी केंद्रो को नष्ट कर आतंकियों को बेबस कर उन्हें घुटनों पर ला दिया। ऑपरेशन सिंदूर में चाइनीस डिफेंस तंत्र पूरी तरह फेल हो गया जबकि भारत का डिफेंस तंत्र पूरी तरह से प्रभावी सिद्ध हुआ। लेकिन विश्व पटल पर कार्यरत एक इकोसिस्टम ने इसे धुंधला कर मिटाने का प्रयास किया। हमारे समाज ,राजनीति और बौद्धिक प्रतिष्ठान में देश और विदेश में एक वर्ग ऐसा है जो हमारी सफलताओं पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करने का कार्य करता है। जो भारत में हिंदुत्व की ताकत को कमजोर करने के लिए अल्पसंख्यकों, आरक्षित वर्गों, कमजोर एवं दलित वर्गों ,मीडिया आदि सभी को अपना लक्ष्य बनाता है और हमारे प्रजातंत्र के लिए खतरा बना हुआ है।

यह वे लोग हैं जो प्रांतवाद ,क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद ,अमीर -गरीब, सामान्य- दलित समाजो को आपस में लडवा कर तथ्यों को तोड़ बंदोदकर आधे अधूरे प्रस्तुत कर अपने लक्ष्य में सफल होना चाहते हैं। उन्होंने हमारे देश में ऊर्जा और खाद्यान्न की सुरक्षा का उदाहरण देते हुए बताया की आज हमारी कुल ऊर्जा खपत का 50% हम अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करने में सफल हो गए हैं सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने दुनिया का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा केंद्र गुरुग्राम में स्थापित किया है। पिछले माह ही हमने 250 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा बनाने की क्षमता अर्जित की। एक करोड़ घरों पर सोलर रूफटॉप ,रेलवे का लगभग शत प्रतिशत विद्युतीकरण , जल थल नभ तीनों में आणविक शक्ति संपन्न, भारत में बने विमान वाहक युद्धपोत ,नाभिकीय सबमरीन, एयरक्राफ्ट, यूरोपीय देशों का भारत में आकर रक्षा उद्योग स्थापित करना आदि सभी कार्य रक्षा क्षेत्र में हमारे प्रधानमंत्री की मजबूत इच्छा शक्ति का प्रकटीकरण है। उन्होंने युवा वर्ग को सरकारी सेवा के पीछे दौड़ने की बजाय एंटरप्रेन्योरशिप स्टार्टअप पर बल दिया।

उन्होंने कहा की आने वाले समय में 90% नौकरियां लक्ष्य आधारित ही होगी जिम युवा अपनी क्षमताओं एवं कौशल का भरपूर उपयोग कर सकेंगे। स्टार लिंक कनेक्शन के बाद देश-विदेश का कोई भी कार्य युवा अपने घर बैठकर भी पूर्ण कर पाएगा। मैकाले और मार्क्स की शिक्षा से मुक्त होकर भारतीय शिक्षा एवं जीवन पद्धति को पूर्णतया आत्मसात करने का समय है। भारत के इस अमृत कल के समय में शिक्षकों का यह महत्वपूर्ण दायित्व है कि जिस प्रकार भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं ज्ञान को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया उसके सही स्वरूप को बालको एवं समाज तक पहुंचाना है हमें गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर हमारी विरासत का संरक्षण , देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की ओर अग्रसर करना है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व सहसर कार्यवाहक सुरेश सोनी ने शिक्षा की भारतीय अवधारणा विषय पर अपने विचार रखे । अपनी प्राचीन गुरुकुल परंपरा पर जोर देते हुए वर्तमान समय में शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहां की भारतीय शिक्षा एवं जीवन पद्धति में बच्चों के समग्र विकास एवं चारित्रिक विकास दोनों पर ही ध्यान देना आवश्यक है , जिसका उद्देश्य व्यक्ति को समाज और देश के योग्य बनाना और भारतीय संस्कृति का संरक्षण करना है और यह कार्य केवल एक शिक्षक ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि विद्यालय सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख केंद्र है तथा शिक्षक उसकी धुरी और राष्ट्र निर्माण का पुरोधा है। उन्होंने शिक्षकों से आव्हान किया कि आओ हम सब मिलकर भारत मां को पुनः सर्वोच्च सिंहासन पर विराजित कर, उसके वैभव को पुनः स्थापित कर संपूर्ण विश्व में शांति , विकास और मानव कल्याण का संदेश दें।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर नारायण लाल गुप्ता ने संगठन की अब तक की यात्रा और उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ABRSM अपने स्थापना काल से ही शिक्षकों के सर्वांगीण विकास और राष्ट्र निर्माण के कार्य में निरंतर अग्रसर रहा है। प्रोफेसर गुप्ता ने यह भी बताया कि ABRSM विश्व का सबसे बड़ा शिक्षकों का संगठन है, जो “शिक्षक राष्ट्र के लिए” इस मूल विचार और राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित मैं समाज ध्येय वाक्य के साथ कार्य कर रहा है। ABRSM केवल शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास और ‘विकसित भारत’ के निर्माण के लिए भी सक्रिय रूप से योगदान कर रहा है।

कार्यक्रम के समारोह सत्र में जयपुर की महापौर सौम्या गुर्जर ,संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ,कार्यक्रम संयोजक शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पुष्करणा, महामंत्री गीता भट्ट, उच्च शिक्षा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज बहरवाल एवं देश के 28 राज्यों से पधारे शिक्षकों, कार्यकर्ताओं की गरिमामई उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन महामंत्री गीता भट्ट ने किया।

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