नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9974940324 8955950335 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , मर्यादा का अर्थ है हम अपनी सीमाओं को समझें-जिनेन्द्रमुनि मसा* – भारत दर्पण लाइव

मर्यादा का अर्थ है हम अपनी सीमाओं को समझें-जिनेन्द्रमुनि मसा*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*मर्यादा का अर्थ है हम अपनी सीमाओं को समझें-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कान्तिलाल मांडोत
गोगुन्दा 18 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ के तत्वावधान में रविवार को धर्मसभा में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि धर्म कुछ मर्यादाएं प्रस्तुत करता है। कुछ व्यक्ति उनका ठीक ठीक अर्थ नहीं समझ कर उनकी आलोचना कर बैठते है। ऐसा समझते हैं मानों धर्म के माध्यम से हमें बन्धनों में डाला जा रहा है ,किन्तु यह सत्य नहीं है। धर्म मर्यादा के रुप में कोई बन्धन नहीं डालता है। वह तो व्यक्ति को अपनी सीमा का ज्ञान कराता है । यद्यपि विश्व में भोग्य पदार्थ अनन्त है किन्तु मानव के पास उनके उपभोग की शक्ति सीमित है। अपनी सीमित शक्ति को पहचान कर उपभोग को मर्यादित करना बन्धन नहीं है। अपितु उपभोग की यह एक रचनात्मक दृष्टि है।यदि व्यक्ति अपनी सीमा को पहचाने बिना उपभोग की तरफ बढ़ता रहेगा तो उसे असफलता, पश्चाताप, संक्लेश ही प्राप्त होंगे ।कुछ ऐसे पदार्थ हैं जो मानव के लिये न खाद्य है न पेय है वे किसी भी दृष्टि से उपयोगी भी नहीं है। फिर भी वे मानव के उपयोग के रुप में स्थापित हो गये है। स्वास्थ्य और स्वभाव दोनों के विरुद्ध नितान्त हेय पदार्थ है मद्य मांसादि तथा नशीले पदार्थ ।
संत ने कहा धर्म यदि उन्हें उपयोग में लाने को नकारता है तो यह किसी तरह के बन्धन की बात नहीं है यह मानवीय स्वभाव और स्वास्थ्य के अनुकूल सिद्धान्त है। धर्म मानव को आत्म शान्ति पूर्ण विकास के पथ पर आगे बढ़ाने का प्रयत्न करता है। धर्म यह अपेक्षा करता है कि मानव व्यर्थ के तनावों से बचे और अपनी जिम्मेदारियों को सफलता पूर्वक पूर्ण करे। मानवीय जीवन के आनन्द को सुरक्षित करना और उसे निरन्तर बढ़ाते रहना यही धर्म का ध्येय है। मर्यादाओं का निर्माण इसी दृष्टि से किया गया है।रितेश मुनि ने कहा कि धार्मिक पर्वो के दिन चल रहे है।रक्षाबंधन का पर्व स्नेहील त्योहार है।मिलझुल कर मनाया जाना चाहिए।संत ने कहा भाई बहनों के प्रेम का सामाजिक और सांस्कृतिक एकबद्धता का पर्व रक्षाबंधन है ।इसे एक पर्व के रूप में नहीं मना कर संकल्प के तौर पर मनाया जाना चाहिए।चांदी के टुकड़े या चंद पैसों की दृष्टि से इस पर्व को नही देखा जाता है।जब भाई की कलाई में राखी बांधी जाती है तो वह एक सामान्य धागा नही रहकर वह रक्षासूत्र बन जाता है।जिसका निर्वहन वर्षपर्यंत करना पड़ता है।पूरे साल की रक्षा की गारंटी भाई की बन जाती है।प्रवीण मुनि ने कहा कि पर्युषण दस्तक दे रहा है।अपनी आत्मा के कल्याण के लिए तप करना है ।आगामी दिनों में आत्मकल्याण के लिये आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व में अपनी आत्मा को निखारने के लिए तप आराधना करनी है।प्रभातमुनि ने कहा कि दिन में एक घण्टे का समय निकालकर सामायिक जरूर करे।सामायिक से निर्जरा का क्षय होता है।मुनि ने भार पूर्वक कहा कि धर्म के बीना सब व्यर्थ है।श्रावकों ने मंगलीक श्रवण किया।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031