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सच्चा मानव वही है,जो मानवता के प्रति करुणा के दीप प्रज्वलित रखता है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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पर्युषण महापर्व
*सच्चा मानव वही है,जो मानवता के प्रति करुणा के दीप प्रज्वलित रखता है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

कांतिलाल मांडोत

गोगुन्दा 4 सितंबर
किसी को दुःखी एवं पीड़ित देखकर हमारा हदय उसके दुःख को दूर करने की भावना जगाता है,वही करुणा है।किसी को मरते देखकर बचाने की जो भावना पैदा होती है,वह करुणा है।किसी को सुधा पीड़ित को देखकर रोटी देने की इच्छा उत्तपन्न होती है ,वही करुणा है।किसी को बिना देखे ही हमारे मन मे उसके दुःख को दूर करने का भाव उमड़ता है,सम्पूर्ण मानवता को सुखी बनाने हेतु हमारा हदय तरंगायित रहता है,वह करुणा है।संत ने कहा यही कारण है कि राम कृष्ण और महावीर को करुणा का सागर कहा गया है।वे सम्पूर्ण विश्व के प्रति कृपालु रहे।मुनि ने कहा किसी का दुःख उनसे देखा नही गया।उनके सारे प्रयत्न मानव कल्याण के लिए हुए इसलिए वे करुणा के पुंज थे।मुनि ने भार पूर्वक कहा कि करुणाविहीन मानव मिट्टी का ढेर है।ज्योतिहीन दीपक है।यह मानवता को परखने की सच्ची कसौटी है।जिस हदय में करुणा है।वही मानवता का साम्रज्य है।सच्चा मानव वही है जो मानवता के प्रति करुणा का दीप प्रज्वलित रखता है।प्रवीण मुनि ने कहा मानव का जीवन आपसी सहयोग अवमानना सेवा पर टिका हुआ है।सेवा और सहयोग धर्म का ही रूप है।इस संसार मे सभी प्राणी सहयोग की भावभूमि पर ही जीवित है।मेवाड़ के राणा प्रताप की सेना में सबसे अधिक सिपाही भील जाति के थे।सागर पार करने के लिए पत्थर की नाव नही बनाई जाती,बल्कि उसी लकड़ी का प्रयोग करते है जो जलाने के काम आती है।रितेश मुनि ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को अपने सम्बोधन में कहा कि संसार मे कोई भी व्यक्ति इच्छाओं से ,कामनाओं से शून्य नही है।प्रत्येक की कोई न कोई चाह, कोई न कोई कामना होती ही है।जो आवश्यक है उसकी पूर्ति के लिए प्रयत्न भी किये जाते है।लेकिन आवश्यक की आड़ में अनावश्यक कामनाओं को मन मे पाल लेने का अर्थ अपने मस्तिष्क को विविध प्रकार के तनावों से आवृत करना है।प्रभातमुनि ने श्रावकों कोबताया कि धर्म का निवास स्थान पवित्र अंतःकरण है।जिस मन में क्रोध कपट और अहंकार आदि का गंदापन है ।वह मन किसी भी रूप में धर्म साधना के योग्य नही हो सकता।मन को स्वच्छ बनाओ एवं उसके बाद धर्म अध्यात्म की बात करनी चाहिए।स्थानक भवन में आगंतुक मेहमान हरियाणा निवासी का स्वागत किया गया।जसवंत गढ़ ,सायरा सिंघाड़ा ढोल कमोल और गोगुन्दा से लोगो का आवागमन हुआ।अखंड जप अनुष्ठान चल रहा है।तपस्वियों को प्रत्याख्यान करवाया।महावीर जैन गौशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा ने उद्बोधन किया।उपाध्यक्ष अशोककुमार मादरेचा ने बोलियां लगाने वाले जीवदया प्रेमियों के नामावली को पढ़कर सुनाया।इस बीच सोहनलाल मांडोत चंद्रप्रकाश सिंघवी देवीलाल चपलोत लक्ष्मीलाल पुनमिया सिंघाड़ा निवासी आदि उपस्थित रहे।

 

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