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सख्त हाथो में सदन का संचालन*

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*सख्त हाथो में सदन का संचालन*
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला सौम्य स्वभाव के व्यक्ति है।बिडला अज्ञात शत्रु है।चढ़ी त्यौरियो के साथ संसद में अपने निशान छोड़ने को कृतसंकल्प है संसद के कामकाज को ज्यादा पारदर्शी बनाने के मकसद से उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए है।विपक्ष के लिए वे सरदर्द साबित हो,लेकिन इनसे सुकून मिलता है।भाजपा की इच्छा पर वे राजी हो गए।नेक दिल इंसान और मधुर भाषी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की विपक्ष भी प्रशंसा किये बिना नही रहता है।त्याग और तपस्या की महान धरा राजस्थान के कोटा में जन्मे बिड़ला का मोदी ने अध्यक्ष बनने के बाद भूरी भूरी प्रशंसा की थी।विपक्ष और सत्तारूढ़ किसी को उतेजित करने और सदन की कार्यवाई के दौरान कोई लापरवाही बर्दास्त नही है।कांग्रेस को जनता ने विधानसभा चुनाव में नकार दिया।लेकिन सदन में उन्हें वो ही सम्मान दिया जाता है जो पहले मिलता था। कोई भी आरोप नही लगा सकता है।हर बार संसद ठप होने पर उनको गुस्सा जरूर आता है।क्योंकि जिन लोगो ने उनको सदन में भेजा गया है।वहा बार बार सदन स्थगित की जाती है।उससे उनका दिल पसीज जाता है।जनता को न्याय मिलने के वे पक्षधर है।विपक्ष का विश्वास बरकरार रखा है।कोई उन्हें अड़चन खड़ी करने वाले अध्यक्ष करार नही दे सकता है।सदन से बाहर वे सदन के कामकाज को पारदर्शी बनाने की हर समय कोशिश में रहते है।सांसदों के जमकर मननर्जी चलाने वाले और सदन की कार्यवाही बाधित होने की स्थिति में वे हर समय परेशान होते देखे गए है ।बारबार कार्यवाही रुकने की वजह से जनता के पैसे की बर्बादी उन्हें बेहद व्यथित करती है।किसी भी आंदोलन की सफलता के लिए संसद को स्थगित करना चलन हो गया है।अभी हाल ही में सदन में हंगामा खड़ा कर सदन की कारवाही नही होने पर कई सांसदो को निलंबित किया गया।उनको इस बात का मलाल है कि सदन स्थगित होने से हम जनता की सेवा नही कर पा रहे है।बिड़ला सदन को दुरुस्त करने को दृढ़संकल्प है।उनको उम्मीद थी कि शीतकालीन सत्र में कोई हंगामा नही होगा।लेकिन पहले दिन से विपक्ष ने सदन में हंगामा खड़ा कर कार्यवाई स्थगित करवा दी जा रही है।इसका कारण यह है कि पांच राज्यो में चुनाव के दौरान कांग्रेस और अन्य दल अच्छा प्रदर्शन नही कर सकी।जिसका गुस्सा सदन में निकालने के लिए मजबूर हो रही है।सदन है ।संसद चाहिए।मरघट नही है,वहां बहस हो।लेकिन हंसी मजाक भी चलता रहता है।और जनता का काम भी होना चाहिए।लोकसभा अध्यक्ष का काम है सदन चलाना।जान बूझकर अध्यक्ष की अवहेलना करते है तो फिर उसके होने का क्या अर्थ है।शीतकालीन सत्र में एक भी व्यवस्थित बहस नही हुई है।पर विपक्ष की सोची समझी नीति के कारण सदन अवरुद्ध जरूर किया गया है।खासा समय बर्बाद हो चुका है।सदन से निलंबित करना बेहद जरूरी था।क्योंकि कांग्रेस और अन्य दल यही चाहते 

*                              कांतिलाल मांडोत*

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