नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9974940324 8955950335 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें , सेवा और सहयोग नैतिक आचरण ही नहीं धार्मिकता भी है-जिनेन्द्रमुनि मसा* – भारत दर्पण लाइव

सेवा और सहयोग नैतिक आचरण ही नहीं धार्मिकता भी है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊

*सेवा और सहयोग नैतिक आचरण ही नहीं धार्मिकता भी है-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 10 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ उमरणा
श्री महावीर गौशाला के स्थित महावीर भवन में जैन संत जिनेन्द्रमुनि मसा ने प्रवचन माला में कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा मानव की उदात्त भावनाओं का परिणाम है।वे मात्र नैतिक आचरण ही नहीं है धार्मिकता भी है क्यों कि परोपकार का भाव और देय वस्तु के प्रति निर्ममत्व का भाव आत्म भाव है। आत्म भाव में ही धर्म है। मानव के जन्म लेने के बाद जब तक वह जीवित रहता है तब तक प्रत्यक्ष और परोक्षरूप से हजारों व्यक्ति उसका सहयोग करते हैं जन सहयोग से ही मानव जीवन का विकास होता है। उदाहरण स्वरूप समझिये कि एक बच्चा सड़क पर खेल रहा है और कोई वाहन तेजी से आ रहां है राह चलते व्यक्ति ने बच्चे को उठाकर एक तरफ ले लिया बच्चा कुचल सकता था किन्तु दो अनजाने हाथोंने बचा लिया । कितना उपकार किया अन जाने हाथों ने, उनके सहयोग से जीवन बच गया। बचाने वाला नहीं जानता है कि किसे बचाया गया। और बचने वाला भी नहीं जानता कि उसे अनजाने हाथों से नव जीवन मिला है किन्तु मानवता की सेवा की एक महान घटना अचानक ही घटित हो गई। मुनि ने कहा वह अभयदान सेवा इतना महत्व पूर्ण है कि उसकी तुलना किसी भौतिक पदार्थ से नहीं की जा सकती। करुणा और प्राणी रक्षा का भाव आना परम पवित्र आत्म भाव है। उक्त घटना से यह समझ में आजाना चाहिये कि अपना जीवन भी हजारों अनजाने हाथों के सहयोग से विकसित हुआ है। लोक जीवन के इस अव्याख्यायित उपकार का ऋण हमे मानवता की सेवा कर के ही सकते हैं।
हमारी संस्कृति सेवा की ही संस्कृति है। भगवान ऋषभ देव ने कल्पवृक्ष विच्छेद के बाद मानव और पशुओं की सुरक्षा के लिये कृषि विज्ञान विकसित किया आज पूरा उसका लाभ उठा रहा है। सेवा और करुणा से प्रेरित किया गया कृषिका प्रयोग बहुत सफल रहा। सेवा और जीव दया के हजारों प्रसंग अन गिनत घटनाएं हमारे इतिहास में भरी पड़ी है। आज यदि हम सेवा और सहयोग के मार्ग को त्याग कर नसिर्फ स्वार्थ में अन्धे होकर जीने लगे है तो यह अपना सांस्कृतिक अध्यात्मिक पतन है। धन संचय को जीवन का मौलिक लक्ष्य न बनायें। अपने धन का पीड़ित मानवता की सेवामें उपयोग करने से न केवल धन का सदुपयोग होगा अपितु अध्यात्मिक दृष्टि से पुण्योपार्जन का लाभ भी मिलेगा ।
प्रवीण मुनि मसा ने कहा कि पुण्य वे पवित्र कर्म हैं जो जीवन को सुख समृद्धि और शान्ति प्रदान करते हैं। सामज में फैली हुई अमीर गरीब की खाई को धनिक व्यक्ति चाहे तो बहुत कुछ मिटा सकते हैं। समृद्धि जब अनेक व्यक्तियों के बीच बांट दी जाती है तो अनेक जीवन दीप जो बुझने को होते हैं फिर से जल उठते है। इस पर रीतेश मुनि मसा ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की आलोचना करना महापाप की श्रेणी में आता है।आलोचना वो ही करता है जिसका जीवन विवादों में रहता है।आलोचना करने से पूर्व हम स्वयं अपने आप की कसौटी करे।जीवन मे अनेक आरोह अवरोह आते है।जीवन उसी का सफल होता है।जो स्वयं बदलना जानता है।प्रभातमुनि ने मंगलाचरण के साथ कहा कि उपेक्षित जीवन जीने वाला समाज पर बोझ है।उपेक्षा नही करनी चाहिए।यह अवगुण धर्म से विचलित करने वाला है।पतन उत्थान कर्मप्रधान है।कर्म की गति को कोई नही जानता है।कल का भरोसा नही है अतः जीवन रूपी वृक्ष से पता टूट कर गिर जाए,उसके पूर्व आत्म कल्याण के लिए पुरुषार्थ करना होगा।संतो के दर्शन के लिए सेहरा प्रान्त से श्रावकों का आवागमन हुआ।शांतिलाल बम्बोरी प्रकाश टेलर पारस भोगर हिमत भोगर रमेश बोल्या एवम नवयुवकों ने संतो के प्रवचन का लाभ लिया।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें 

Advertising Space


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

लाइव कैलेंडर

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031