सेवा व आध्यात्म में अटूट सम्बन्ध जनजाति समाज में कुलदेवी व प्रकृति पूजा की परंपरा*
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*सेवा व आध्यात्म में अटूट सम्बन्ध जनजाति समाज में कुलदेवी व प्रकृति पूजा की परंपरा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा (उदयपुर)
28 नवम्बर 2025
राजकीय महाविद्यालय गोगुन्दा में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई का एक दिवसीय शिविर शुक्रवार को सम्पन्न हुआ। अंत में “जनजातीय गौरव: आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक मान बिन्दू” विषयक व्याख्यान आयोजित हुआ।
व्याख्यान सत्र में अध्यक्षता प्राचार्य प्रो ऋचा माथुर ने की। मुख्य अतिथि कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो दिनेश हंस और मुख्य वक्ता प्राध्यापक डॉ सुनील खटीक रहे।मुख्य वक्ता डॉ सुनील खटीक ने कहा कि एनएसएस के आदर्श नायक स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्मिक दृष्टिकोण के साथ सेवा का संदेश दिया। आध्यात्म ने सेवा व प्रकृति संरक्षण को प्रोत्साहित किया है। जनजाति समाज प्रमुख उदाहरण है। जहां मेवाड़ के जनजाति समाज में गौत्र अनुसार कुल देवी व वृक्ष की मान्यता है।आध्यात्म का आधार सत्य, करूणा, शुचिता व तपस है, जो सभी सनातन पंथों में विविध स्वरूप में दिखाई देती है। चातुर्मास में विभिन्न धाराओं में गवरी से लेकर पर्युषण तक की साधना होती है। सभी धाराओं में सद्भाव व सहयोग की भावना रही है।डॉ खटीक ने कहा कि बिरसा मुण्डा ने उलगुुलान से पहले बिरसाइत और गोविन्द गुरू महाराज ने भगत आंदोलन से पहले संप सभा का गठन कर आध्यात्मिक चेतना जाग्रत की और अंग्रेजों के विरुद्ध स्वराज्य के लिए प्रेरणा दी। पाठ्यक्रम में जनजाति नायकों द्वारा स्वराज्य के लिए की गई आध्यात्मिक क्रांतियों को पढाया जाना चाहिए था, पर दुर्भाग्यपूर्ण है कि नीति निर्माताओं ने माओ, स्टालिन व लेनिन की रक्तरंजित अराजकता को पाठ्यक्रम में शामिल कर पढ़ाया। मुख्य अतिथि महेश हंस ने प्राकृतिक आध्यात्म की संकल्पना को रखा। प्राचार्य ऋचा माथुर ने प्रस्तावना रखी। डॉ शंकर ढोली ने मतदाता गहन परीक्षण की जानकारी साझा की। डॉ पुनम लोकवानी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान संकाय सदस्य डॉ सबा अगवानी, डॉ आसुराम, डॉ मनीषा उपस्थित रहे।
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