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*युवा जोश और उमंग का पुंज,बाहरी भटकन से बचाव जरूरी-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*युवा जोश और उमंग का पुंज,बाहरी भटकन से बचाव जरूरी-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 23 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ उमरणा के स्थानक भवन में प्रवचन माला ने जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि युवा देश की धड़कन है और शक्ति का पुंज है।जब जब युवा करवट बदलता है तो उसमें निर्माण करने की शक्ति लक्षित होती दिखाई देती है।युवा संगत की मार से सुमार्ग से हटकर कुमार्ग की तरफ दौड़ लगा रहा है।सहनशीलता की कमी के कारण युवाओ में क्रोध पर काबू नही है।गुस्से में उठाया जाने वाला कदम गलत ही होता है।स्कूल छात्र छात्राओ में सहिष्णुता की कमी नजर आ रही है।जिसके कारण असमय में युवक अपने जीवन की अहिलीला समाप्त कर देते है।युवा शक्ति का पुंज है।लेकिन सही मार्गदर्शन नही मिलने से भटकाव बढ़ता जा रहा है।आज युवाओं में क्रोध की अधिकता के चलते आत्महत्या की अनेक घटना सुर्खियों में रहती है।युवाओ पर अभिभावकों को कितना विश्वास रहता है कि मेरा पुत्र या पुत्री पढ़लिखकर लायक बनकर घर को संवारहने का कार्य करेंगे।लेकिन उनकी आशाएं उसी समय धुलमिल हो जाती है।जिस समय यह सुनने में आता है कि उसने जहर खाकर या फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है।इस तरह की घटनाएं समाज का भाग बनता जा रहा है।हमे नही लगता है कि युवाधन इन जुमलों में पड़कर अपना जीवन नष्ट कर रहा है।लिहाजा,कभी कभी किसी काम मे सफलता नही मिलती है।परीक्षा हो या नौकरी धंधा की समस्या को लेकर शहर कस्बो में छोटी उम्र के बच्चों में आत्महत्या के केस सुनने पढ़ने को मिल रहे है।तब दिल पसीज कर रह जाता है कि इतनी छोटी उम्र की बच्ची को क्या समस्या रही होगी।हमे सजग प्रहरी की भूमिका में रहना है।दुःख के बाद सुख और असफलता के बाद हमेशा सफलता मिलती है।लेकिन बच्चे डरपोक बनते जा रहे है।यह सामाजिक क्षति है जो समाज को पग पग पर खोखला कर रही है।कोई
भी समस्या है और कोई कितनी भी भारी समस्या है अपने अभीभावको के साथ बैठकर सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।मन की पीड़ा दुसरो को कहने से मन हल्का और समस्या का समाधान होता है।युवाए जागरूक बने और देश के लिए शक्तिपुंज बनकर लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए अपना पूरा सहयोग करे। रितेश मुनि ने कहा कि भारत युवाओ का देश है।भारत पर दुनिया की नजर है।विश्वगुरु की दहलीज पर बैठा भारत पर दुनिया गर्व करती है।युवाओ को आगे आना चाहिए।प्रभातमुनि मसा ने कहा कि आलोचना करने वाला तिरस्कार का भागी बनता है।आलोचना से व्यक्ति समाज की निगाहों में नीचे गिरता चला जाता है।युवाओ को इनकी जंझट से दूर रहकर स्वाध्यायरत रहकर समाज के उत्थान की और अग्रसर रहने की आवश्यकता है।

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