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आज की महिला निर्भर नही पर हर कार्य मे आत्मनिर्भर है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*आज की महिला निर्भर नही पर हर कार्य मे आत्मनिर्भर है-जिनेन्द्रमुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
गोगुन्दा 1 अगस्त
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ उमरणा में जिनेन्द्रमुनि मसा ने उपस्थित श्रावकों को सम्बोधित किया।संत ने कहा कि महिला हर क्षेत्र में आगे है।महिलाओ को शक्तिशाली बनाने और आत्मनिर्भर बनाने के सभी प्रयास अनिवार्य है।महिलाओ को शशक्त बनाने के लिए हर क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करना चाहिए।महिलाओ ने अंतरिक्ष को भेद कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।उधोग के क्षेत्र में महिलाओ ने पुरुषो को पीछे छोड़ दिया।प्रतिभावान महिलाओ ने इंफ्रास्ट्रक्चर हो या बैंकिंग क्षेत्र पुरुषों से आगे निकल चुकी है।उधोग क्षेत्र में महिला एकल स्वामित्व से आगे बढ़ रही है।महिला अब अबला नही है,सबला है।यू कहे की महिला क्या नही है?महिलाओ के साथ अत्याचार करने वाले भूल गए है कि हर क्षेत्र में पुरुषो से लोहा मनवा रही है।पुरुष प्रधान समाज मे जहाँ महिलाओ को पैर की जूती समझने वाले अब महिलाओ के कौशल्य को माना और जाना है।संत ने कहा कि महिलाएं समाज में कंधा से कंधा मिलाकर पुरुषों से आगे बढ़ रही है।रीतेश मुनि मसा ने कहा कि जिनेन्द्रमुनि मसा से आप सभी ने जिनवाणी का श्रवण किया।मुनि ने कहा कि महिला हर कदम पर पुरुषों को याद दिला रही है कि हम हर क्षेत्र में हमारी योग्यता का परिचय दे रही है।महिलाओ को पारिवारिक जिम्मेदारियों और घर संभालने के लिए उत्तम माना गया है।आज भी समाज मे ऐसे लोग मिल जाएंगे,जो महिलाओ को चार दिवारी में कैद कर रखने को अपना धर्म समझते है।हम देख रहे है कि प्रशासनिक सेवा ,राजनीति या समाज सेवा में पुरुषों को महिलाओ ने अपना लोहा मनवाया है।मुनि ने कहा कि नारी माता के स्वरूप में ममत्व और वात्सल्य लुटा कर एक आदर्श माता का परिचय देती है।संत ने कहा आज की महिला निर्भर नही पर हर कार्य मे आत्म निर्भर है।प्रभातमुनि मसा ने क्रोध नही करने की सीख देते हुए कहा कि क्रोध में सही निर्णय नही होते है।मानसिकता को ठेस पहुंचती है भावना आहत होती है। जब अपनी जगह पर कोई कब्जा कर लेता है उस समय अधिक क्रोध आता है।इस क्रोध को काबू करना चाहिए।इस क्रोध रूपी विष वेल को समाप्त करना चाहिए।जब व्यक्ति मानसिक रूप से क्रोध करता है तब उसके हाथ पैर फूलने लगते है और इस क्रोध के वशीभूत किसी की हत्या तक कर लेता है ।यह हमारा शत्रु है इससे कई पीढियां बर्बाद हो जाती है।क्रोध के इस शत्रु ने कइयों के घर उजाड़ दिए है।वहशीपन पर उतारू क्रोधी व्यक्ति को अच्छे और बुरे में फर्क नही लगता है।मुनि ने कहा क्रोध के वशीभूत व्यक्ति में और जानवर में कोई फर्क नही रहता है।क्रोध का जनक भय भी है इसलिए शांतचित्त से निर्णय कीजिये।

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