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*गुरु की शिक्षा के बगैर मानव जीवन अधूरा है-जिनेन्द्रमुनि मसा*

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*गुरु की शिक्षा के बगैर मानव जीवन अधूरा है-जिनेन्द्रमुनि मसा*
सायरा 21 जुलाई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उमरणा में श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा है।सबसे बड़ा दिन है।आपके लिए भी और संत परम्परा के लिए भी समान महत्व है।गुरु ज्ञान का भंडार होता है। आत्मा का कल्याण सदकर्म करने से ही होता है।गुरु ज्ञान की चिंगारी है जिसे अनगढ़ पत्थर को पारस बना देते है।जैन संत ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कहा कि मनुष्य का शरीर एक मन्दिर है।जिसके अन्दर आत्मा के रूप में भगवान बसते है।आत्मज्ञान को धारण करना चाहिए।आत्मज्ञान की कमी भटकाव की और ले जाती है।उमरणा( सायरा)में श्री महावीर गोशाला स्थित चातुर्मास के दौरान प्रवचन माला ने जैन मुनि ने कहा कि गुरू के बिना ज्ञान पाप्त नही किया जा सकता है।गुरु तारणहार है।भव भव में भटकने वाली आत्मा को गुरु ज्ञान की रोशनी से बाहर निकाल कर मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग सुगम करता है। मुनि ने कहा कि गुरु की महिमा शास्त्रों में भी गाई गई है।संत ने कहा कि संतो का सानिध्य मिलने और गुरु के मार्गदर्शन से जीवन की बुराइयों का सर्वनाश हो जाता है।सत्संग के माध्यम से लोगो को सत्संग की संगत मिलती है।रीतेश मुनि मसा ने कहा कि गुरु चरणों मे ज्ञान का भंडार है।संत ने कहा गुरु और शिष्य का यह पर्व धार्मिक ही नही है,बल्कि सामाजिक नजरिये से देखा जाए तो भी महत्वपूर्ण है।प्रभातमुनि मसा ने मंगलाचरण कर संतो का आशीर्वाद लेते हुए कहा कि आज बहुत बड़ा और विशिष्ट पर्व है।गुरु की महिमा हर युग मे रही है।पूर्वकाल में गुरु शिष्य परम्परा के निर्वहन की बात करे तो गुरुओं के आदेश का पालन हर एक के जीवन मे अहमियत की दृष्टि होती थी।आज परम्पराओ में बदलाव जरूर है लेकिन पूर्व में जिस परम्परा की नींव रखी गई थी।आज भी अक्षुण्ण चली आ रही है।उमरणा में संतो के चातुर्मास और दर्शन लाभ के लिए श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गई है।प्रतिदिन प्रातः 9 से प्रवचन की शुरुआत स्थानक भवन के हॉल में आरम्भ होती है।

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