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कांग्रेस के लिए कई अवसर आया पर समय बीत गया*

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*कांग्रेस के लिए कई अवसर आया पर समय बीत गया*

लोकसभा चुनाव के चार फेज के चुनाव पूर्ण हो गया है।अब पांचवे चरण के चुनाव की तैयारियां राजनैतिक दल कर रहे है।विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और तीन राज्य में सरकार नही बना पाना कांग्रेस को अब यह मान लेना चाहिए कि फिलहाल केंद्र में राज करने का उसका वक्त नही है।दुनियाभर में राष्ट्रवाद के उभार को देखतें हुए यह वक्त अब रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के रथ पर बैठ सत्ता में आई भाजपा का है।नरेंद मोदी और अमित शाह इसके सारथी है।निर्भर यह रहेगा कि इसके सारथी अपने शासन को कितना समावेशी व जनकल्याणकारी बनाते है।जैसा अभी बना रहे है।इसके लिए कांग्रेस के पास अब दो काम है।एक यह कि वह अपनी नई भूमिका को पहचाने और उसके लिए काम करे और राज्यो में अपने बचे हुए अस्तित्व को प्रभावी बनाने के लिए फैसले ले।

सच पूछिए तो कांग्रेस के लिए हताशा का नही,बल्कि पिछले कई वर्षों से उसकी हड्डियो में भर गए आलस को दूर करना है।नेताओ को अपने पैरों पर खड़े होना है।कांग्रेस नेताओं को बांध कर रखने का दम केवल गांधी परिवार में था ।लेकिन सोनिया ने कांग्रेस से भले ही दूरी नही बनाई है लेकिन अब उतनी भी जवाबदेही सोनिया की नही रही है जिसका पूरा रसूखदार राहुल और प्रियंका के हाथ मे है।कांग्रेस के नेता अपने दम पर खड़े होकर पार्टी को आगे लेजाने की हिमत ही नही रखते है।खिसकते जनाधार देखते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता कांग्रेस छोड़कर अन्य दलो का दामन थाम लिया है।कांग्रेस के नेता आज 1977 की हालत में आ गए है।अब राहुल और प्रियंका की अग्नि परीक्षा है लेकिन इस परीक्षा मेंशायद ही उतीर्ण हो पाएंगे।कांग्रेस लोकसभा चुनाव में जनता का दिल जीतने के लिए फिस्सडी साबित हो रहे है।कांग्रेस के पास सतारूढ़ को घेरने का एक भी ठोस मुद्दा नही है।मोदी ने कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के सहजादे को चेतावनी देते हुए कहा कि क्या बात है अडानी अम्बानी का नाम लेना क्यो बन्द कर दिया है।

मुहं बन्द करने के लिए माल उठाया है क्या?तब से राहुल ने कहा कि ईडी और सीबीआई से जांच क्यो नही कराते है।कांग्रेस की कोई विशिष्ट उपलब्धि नही है।भाजपा ने दस वर्षों के कार्याकाल की उपलब्धि जनता के सामने रख रहे है।जबकि कांग्रेस का कच्चा चिट्ठा सभाओं में खोला जा रहा है।दस साल में मोदी सरकार ने अहम फैसले लिए और उनमें से आज आर्थिक और सामाजिक स्तर पर आगे बढ़ा रहे है।एनडीए और रास्ट्रीय पार्टी भाजपा को दस साल तक सफ़लता पूर्वक सत्ता में बनाए रख पाना राजनैतिक व कूटनीतिक समझ के बिना सम्भव नही है।कांग्रेस कितने भी मनगढ़ंत आरोप लगा दे लेकिन मोदी अंगद की तरह पांव जमा चुके है और कांग्रेस की ताकत नही है कि वे उसे हिला सकते है।सोनिया पुत्र और पुत्री मोह से बाहर आकर देशहित में फैसला लेना चाहिए।पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़कर अपने पुत्र पुत्री को राजनीति में सक्रियता बढ़ा तो दी है लेकिन राजनीति का गहन चिंतन उनके पास नही है।

राहुल के लिए कोई दूसरा सम्मानजनक रास्ता निकालना होगा।जनाधार रखने वाला एक भी नेता नही बचा है।राहुल की सक्रिय राजनीति में कोई सोच नही है।वह तो राजनैतिक विरासत का एक बंदी है।जो एक जिम्मेदार बेटा होने के नाते इच्छा व क्षमता न होने के बावजूद माँ की उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है।एक बंदी कभी भी पार्टी को सत्ता में नही ला सकता है।इसे भाग्य कहिए या वक्त का तकाजा कि उनका प्रतिद्वंद्वी भारतीय राजनीति के इतिहास में अब तक का सबसे ताकतवर नेता है जिसे पटकनी देना नामुमकिन है।कांग्रेस के घाघ नेता मोदी अमित शाह की जोड़ी वालो के सामने नाकाम हो रहे है।सोनिया गांधी राहुल की कमजोरी जानती है इसलिए अध्यक्ष पद उनके पास ही रखा था।सामने खड़ी चुनौती को देखते हुए वह फिलहाल इस पद के योग्य नही है।
कई राज्यो में पंद्रह बीस और उससे ज्यादा सालो से कांगेस सता में नही है।सभी कांग्रेसियों को यह सोच लेना चाहिए कि भितरघात का उनका वक्त चल रहा है।एकजुटता नही है और मोदी से मुकाबला सम्भव ही नही है।आजादी के बाद से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा राज किया।इन सालो में आरएसएस ने देश भर में रचनात्मक कार्यो से जोड़ा है देशभर में समाज शिक्षा स्वस्थ्य रोजगार प्रशिक्षण के काम कर रहे है।विकास चालू है।इतना भारी इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्यो को अंजाम दिया है।देश मे विकास कार्य प्रगति पर है।गरीब रेखा से करोड़ो लोग बाहर निकले है। बुलेट ट्रेन अंतरिक्ष उपलब्धि सैन्य उपकरण और हर विभाग में प्रगति के बाद कांग्रेस कहा खड़ी है?तीसरी इकोनॉमी पर भरोसा दिलाने वाली भाजपा ने अनुच्छेद 370 सीएए और तीन तलाक जैसे रिवाजो पर सफलता हासिल करनी मजबूत सरकार की निशानी है।विदेश नीति और कश्मीर की शांति के साथ ही आतंकवाद पर अंकुश लगाना कोई छोटी उपलब्धि नही है।

                            *कान्तिलाल मांडोत*

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