ममता भंवरजाल में फंसाने वाली है-महाश्रमण जिनेन्द्रमुनि मुनि मसा*

😊 कृपया इस न्यूज को शेयर करें😊
|
*ममता भंवरजाल में फंसाने वाली है-महाश्रमण जिनेन्द्रमुनि मुनि मसा*
कांतिलाल मांडोत
सायरा 15 जुलाई
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ उमरणा में गत दिवस संतो का मंगल प्रवेश हुआ।संत समागम के लिए प्रवासियों का आवागमन हो रहा है।सेहरा प्रान्त एवम वाकल क्षेत्र के धर्मानुरागी भाई बहनों का समय समय पर संतो के दर्शन के लिए आवाजाही बनी रहेगी।महाश्रमण जिनेन्द्रमुनि मसा घोर तपस्वी प्रवीण मुनि मसा ओजस्वी वक्ता रीतेशमुनि मसा एवं प्रभातमुनि मसा का उमरणा में वर्षावास चार महीने का रहेगा ।हरियाली से सटे रमणीक भूमि में चारो तरफ हरियाली है।वही गोशाला भी विधमान है।संतो के दर्शन लाभ के लिए आज भी लोगो की भारी भीड़ रही।जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि सुलझाने वाली क्रिया करिए आपको कौन-सी क्रिया करनी है ? उलझ तो गये हैं भवसागर में, संसार के भंवर में उलझ गये हैं। भवजाल में उलझ गये हैं। इस भवजाल को सुलझाना है। इसके लिए ऐसी कौन-सी क्रिया करनी है और इस क्रिया को किस तरीके से करना है ,जिससे हमारी आत्मा जो भवजाल के झमेले में उलझ गई है उसको इस उलझन से निकाला जाय, ऐसी क्रिया करनी हैं।धंधा व्यापार भी करना है। ये सारे के सारे धन्धे बन्ध के कारण हैं। ये आत्मा को बन्धन में उलझाने वाले हैं, भ्रमरजाल से बचाने वाले नहीं है।
महावीर ने अपनी चेतना से, अनुभव से और पूर्ण ज्ञान से यह समझा कि जितना-जितना मानव तू ममता में उलझकर काम करेगा, वह तेरे लिए भ्रमर-जाल में फँसाने वाला होगा। यदि तू जीवन को मुक्त करना चाहता है तो सत्संग में आकर धर्म की आराधना कर, साधना कर । तेरी आत्मा इससे सुलझेगी, वह क्रिया शुभ है। इसे आज करने वाला आगे अक्रियावादी बन जायगा ।
रीतेश मुनि ने कहा कि दया भाव तो किसी दीन पर होता है।दुःखी पर होता है।जो कमजोर है वह दया का पात्र कहा जाता है।श्रावक या धर्मियों को देखकर जो तकलीफ में देखकर हदय में जो तड़फन होती है।वह दया भाव नही,वात्सल्य भाव है।

Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें |
Advertising Space
