लालकृष्ण आडवाणी होंगे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित*
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आडवाणी को भारत रत्न
लालकृष्ण आडवाणी होंगे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित*
भारत के पहले रथयात्री लालकृष्ण आडवाणी की उस टोयोटा रथ पर सवार होकर सियासी हिन्दुओ को जागृत करने के लिए निकले थे।इसमे कोई शक नही कि उन्होंने वांछित लक्ष्य हासिल किया।खुद जुझारू रथयात्री ने भी महसूस किया कि 2004 की उनकी रथयात्रा एकदम उलट साबित हुई।आडवाणी और सन्यासिनी उमा भारती ने रथों की कमान संभाली थी।1990 में आडवाणी की रामरथ यात्रा बतौर यात्री अपना करियर शुरू किया।25 सितंबर को सोमनाथ से चलने के बाद बिहार में गिरफ्तार किए गए।यात्रा के साम्प्रदायिक एजेंडे को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुनर्जागरण की पहल की संज्ञा दी गई।लाहौर पाकिस्तान में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री के पद पर भी रह चुके है।
राममन्दिर और राम की भक्ति में सराबोर मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा का कश्मीर से कन्याकुमारी तक 47 दिन की एकता का मकसद पाकिस्तान की शह पर आगे बढ़ने की रही थी।देश भक्ति के जवानों को हवा देने के लिए एक कोशीश सफल होती गई।आडवाणी हिन्दुओ में जागृति लाने का पूरा प्रयास किया था।1996 में लालकृष्ण आडवाणी के मार्गदर्शन में सिंधु दर्शन उत्सव की शुरुआत हुई थी।आडवाणी चाहते थे कि सिन्दू दर्शन उत्सव अंतरास्ट्रीय शांति और मैत्री का प्रतीक बने।गुजरात मे सबसे पहले भगवाकरण हुआ था।गुजरात को सुरक्षित गढ़ माना जाता था।भाजपा का हिन्दू वोट उस दौर से बढ़ते जा रहे है।हिन्दू और हिंदुत्व की अलख जगाने के लिए जनांदोलन के लिए आला नेताओं पर निर्भर रहा है।1997 में रथयात्रा निकाली गई थी।आडवाणी की स्वर्ण जयंती रथयात्रा का मकसद भारत की आजादी की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए निकाली गई थी।अगस्त क्रांति मैदान से शुरू हुई यात्रा दिल्ली में सम्पन्न हुई थी।आडवाणी ने रामरथ से लोगो के जीवन मे भक्ति का बीजारोपण किया था।
आडवाणी को भारत रत्न पहले दे देना चाहिए था लेकिन ऐसा मौका शायद नही मिला होगा।लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी।वह भावुक पल था।आडवाणी ने अपने सिद्धांतों और आदर्शों के साथ जीवन गुजारा है।आडवाणी ने देश को समर्पित होकर देश सेवा में जीवन बिताया है।दिल मे पद के लिए कोई लालच नही है।अभिमान और अंहकार से दूर रामरथ के सुकानी आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। हरफनमौला लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 1997 और इसके बाद भी 2004 में भी उदय यात्रा निकाली गई थी।फीलगुड के अहसास को भुनाने 4125 किमी की यात्रा को लेकर खुद अपनी पार्टी में किरकिरी हो गई।मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बादआडवाणी सहित सात लोगो को भारत रत्न दे चुके है।आडवाणी का भाजपा के लिए योगदान अविस्मरणीय है।भाजपा के लिए शून्य से सर्जन करने वाले आडवाणी ही है।आडवाणी ने छोटी बड़ी छह रथयात्रा निकाली और भाजपा को रसातल से शिखर पर पहुंचाने का कार्य लालकृष्ण आडवाणी ने किया।आडवाणी को प्रधानमंत्री बनने का मौका नही मिला।2009 में आडवाणी के नाम अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा तो उनको सफलता नही मिली।उसके बाद 2014 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी उनके नेतृत्व को चुनौती देने के लिए खड़े हो गए।1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर आये।1
990 में आडवाणी को बिहार में लालू प्रसाद यादव ने उन्हें रास्ट्रीय कानून की धारा के तहत गिरफ्तार करवाये गए थे।1998 में भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें क्रमशः गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री बनाया गया था।बीते कुछ सालों में शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी।आडवाणी के राजनैतिक करियर में सबसे बड़ा विवाद उस समय हुआ था।जब उन्होंने पाकिस्तान जाकर जिन्ना की तारीफ कर दी।पेशे से पत्रकार रहे आडवाणी के नेतृत्व में सारे पले और बड़े हुए है।देश के लिए समर्पित और निस्वार्थ सेवा के लिए आडवाणी को याद किया जाता है।रामरथ के सारथी लालकृष्ण आडवाणी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जा रहा है।यह भाजपा और देश के लिए गौरव की बात है।उनके स्वास्थ्य और लम्बी उम्र की कामना करते है।
कांतिलाल मांडोत
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