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राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में राज्य के विकास की नींव रखी गई

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राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में राज्य के विकास की नींव रखी गई

                  विकास की वसुंधरा

देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान ने पिछले वर्षो में विकास के नए सोपान तय किए ।गांव हों या शहर, खेत हो या उद्योग, युवा हों या बच्चे, पुरुष हो या महिला, हर शख्स तक विकास की किरणें पहुंची । अकाल और गरीबी का दूसरा नाम राजस्थान तब कई मामलों में अपनी पुरानी छवि तोड़कर नए स्वरूप को हासिल किया।18 दिसंबर 2003 को भाजपा की प्रमुख नेत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में जब नई उम्मीदों का सवेरा हुआ तो हर कहीं उसका स्वागत किया गया. बाल्यकाल से ही शासन शैली से परिचित वसुंधरा के विशाल वत्सल हृदय का साक्षात जनता ने इनके कार्यकाल में तकरीबन दो वर्षों में किया था। जिसे बचपन से ही जनता की चिंता रहती थी, उस महिला-वसुंधरा राजे ने सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से सुशासन की नींव रखी।उन्होंने पहले सौ दिन की और फिर 365 दिन की कार्ययोजना बनाई और सफलता के साथ उस पर अमल किया। नतीजा,राजस्थान कई क्षेत्रों में दूसरे राज्यों से काफी आगे रहा था।वसुंधरा राजे ने सबसे पहले वित्तीय प्रबंध पर ध्यान दिया जिसका नतीजा यह हुआ कि सरकार ने एक भी दिन का ओवर ड्राफ्ट नहीं लिया वरना पिछली सरकर तो आए दिन रिजर्व बैंक से ओवर ड्राफ्ट लेती थी।मगर राजे की सरकार ने ओवर ड्राफ्ट नही लिया। बल्कि बचत की गई थी। इस कुशल वित्तीय प्रबंध से केंद्र सरकार इतनी खुश हुई कि राज्य की अर्थव्यवस्था उसने 266 करोड़ रु. बतौर प्रोत्साहन राशि दिए।

पैसे का सही और अच्छा उपयोग करने का ही नतीजा रहा कि वसुंधरा सरकार ने सबसे बड़ी 8,350 हजार करोड़ रु. की योजना बनाई ।स्वस्थ, शिक्षित, विकसित और हरित राजस्थान का सपना पूरा करने के लिए ‘मुख्यमंत्री शिक्षा संबल महाअभियान’ शुरू किया गया। शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन का वह मॉडल इतना अच्छा था कि केंद्र ने दूसरे राज्यों को भी इसे अपनाने की सलाह दी थी। सरकार ने स्कूल भवनों के निर्माण और अन्य सुविधाओं के लिए रिकॉर्ड 860 करोड़ रु. खर्च किए थे। राज्य के करीब 1 करोड़ 14 लाख स्कूली बच्चों को हर साल मुफ्त पुस्तकेंदी गई।.प्रवेश उत्सव मनाया गया था। गरीब छात्रों के जिलों में ‘सबको शिक्षा’ अभियान औऱ साक्षरता शिविर आयोजित कर स्थापना के लिए कानून बनाने की भी चर्चा हुई थी

देश के भावी कर्णधारों व लाख 52 हजार छात्रों को पोषाहार दिया गया। प्रवेश उत्सव मनाकर 13 लाख से ज्यादा बच्चों को स्कूलों तक लाया गया । गरीब छात्रों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की गई । सभी जिलों में ‘सबको शिक्षा अभियान चला तो देहाती महिलाओं के लिए कई शिविर आयोजित किए गए। राज्य में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए कानून के अलावा मेडिकल विवि तथा टेक्नीकल विवि खोलने का भी इरादा था।
देश के भावी कर्णधारों को पौष्टिक आहार देने के लिए सरकार ने 93 लाख 52 हजार छात्रों को मिड-डे मील योजना के तहत रोजाना पूरक से ही पोषाहार देने का कार्यक्रम शुरू किया था।इसमें बच्चों को ताजा और पौष्टिक आहर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिदिन गरम खाना दिया जाता था ।सरकार के प्रयासों का ही नतीजा था कि राज्य सबको शिक्षा अभियान में पहले अमल पहले नंबर पर रहा। नौवीं से बारहवीं तक की आदिवासी बालिकाओं को सरकार ने 12 हजार साइकिलें मुफ्त उपलब्ध कराई थी।10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा तीजा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाली आदिवासी लड़कियों को स्कूटी दी गई थी।शिक्षा के प्रति सरकार की चिंता इससे भी जाहिर होती थी कि उसने शिक्षा विभाग में 38 हजार शिक्षकों की एक साथ भर्ती की ।साढ़े तीन हजार से अधिक विधवाओं को अध्यापिका बनाया गया.
राज्य की अर्थव्यवस्था के मूल आधार कृषि के लिए भी कई क्रांतिकारी कदम उठाए गए । खसरा-खतौनियों का कंप्यूटरीकरण किया गया।और उसी के आधार पर लोग तहसीलों से जमा बंदियों की नकलें ले सकते है। अमूल्य नीर’ योजना शुरू की गई थी। खरीफ की 14 तथा रबी की 8 फसलों को कृषि बीमा योजना के दायरे में लिया गया था। इसके अलावा चार जिलों में ‘मौसम बीमा योजना’ भी शुरू की गई । सरकार ने रिकॉर्ड 14 लाख टन सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद की ।खेती करते समय काश्तकार की मौत हो जाने पर उसके परिजनों को 50 हजार रु. की सहायता दिए जाने के लिए किसान जीवन कल्याण योजना शुरू की गई थी। सही है कि अच्छे मानसून के बावजूद कुछ इलाकों में सुखे हालात रहे थे।इससे निपटने के लिए सरकार ने राहत कार्य खोले. प्रभावित प्रतिमाह लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया।किसानों के दो माह के बिजली बिल माफ किए और ओलावृष्टि से तबाह फसल का मुआवजा दिया।
दूरदराज की गांव-ढाणी में बैठे आम नागरिक के लिए सरकार ने बेहतर चिकित्सा सुविधा का बंदोबस्त किया । जोधपुर में एम्स के स्तर का इलाज मुहैया कराने की योजना अमल में लाई गई।सरकार राज्य के प्रमुख शहरों में न्यूरोसर्जरी तथा राष्ट्रीय राजमार्गों के छह अस्पतालों में ट्रॉमा यूनिट खोले गए। गांवों में विशेषज्ञ इलाज के लिए टेलीमेडिसिन परियोजना शुरू की गई। आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा को भी भरपूर बढ़ावा दिया जा गया। एक ही जगह पर एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी तथा होम्योपैथी चिकित्सा उपलब्ध करवाने के लिए सरकार कटिबद्ध थी। इसके अलावा हर्बल गार्डन खोलने पर भी काम चलाया गया था।
राज्य में पहली दफा 1,000 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय स्तर की सड़कों के निर्माण के लिए राजस्थान अधोः संरचना विकास निगम की स्थापना की गई । विश्व बैंक ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किए जा रहे कामों के लिए भाईचारा देखने को मिला था। शांति-सौहार्द राज्य को प्रथम श्रेणी में रखा । इनके कार्यकाल के पहले दो वर्ष में जुलाई तक 3,270 गांवों तक डामर रोड बन गया था।

बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ सरकार ने उद्योगों को भी काफी सहूलियतें दी । लघु और अति लघु उद्योगों के लिए कर्ज की सीमा बढ़ाई गई सरकार ने बीमार इकाइयों के लिए भी विशेष पैकेज योजना शुरू की गई थी।इससे राज्य की 1,000 बीमार इकाइयों का कायाकल्प हो सकेगा। सरकार ने इसके साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी पर भी विशेष ध्यान दिया गया था।
और प्रदेश में आइटी का नेटवर्क फैलाने के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम किया । इस क्षेत्र में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए नॉलेज पार्क की स्थापना की गई। वित्तीय वर्ष से राज्य की शहरी तथा ग्रामीण जनता बिजली, पानी, टेलीफोन, मोबाइल के बिल, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसी सुविधाओं का लाभ ई-मित्र योजना के जरिए उठाया जा रहा है। शहरों में ये सुविधाएं ‘लोकमित्र’ केंद्रों और गांवों में ‘जनमित्र’ कियोस्को के जरिए उपलब्ध कराई गई। इस समय जयपुर, झालावाड़, उदयपुर और बीकानेर में यह सुविधा उपलब्ध कराई।इसके अलावा एफआइआर दर्ज करवाने, संपत्ति का पंजीकरण, मरीजों की सूचनाओं का अस्पतालों में पंजीकरण भी अब आइटी के जरिए हो रहा है। सरकार का इरादा है- शत-प्रतिशत साक्षरता ही नहीं शत-प्रतिशत कंप्यूटर साक्षरता भी।
ग्रामीण विकास में पंचायती राज की भूमिका का महत्व देखते हुए सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को अधिक सक्षम और सक्रिय बनाया ।ग्राम पंचायत स्तर मिनी सचिवालय की अवधारणा लागू किया । हर पंचायत समिति में एक-एक ग्राम पंचायत को आदर्श पंचायत बनाने का बीड़ा उठाया गया । आदिवासियों तथा सहरिया इलाके में हरेक अंत्योदय परिवार को प्रतिमाह एक किलो आयोडीनयुक्त नमक मुफ्त उपलब्ध कराया गया था। सहरिया क्षेत्रों में स्कूल नहीं जा रहे बच्चों के लिए मां-बाडी योजना शुरू की गई है।
राजस्थान में 65 वर्ष से अधिक के पुरुषों, 55 से अधिक की महिलाओं, 8 वर्ष से ज्यादा के निःशक्तजनों तथा विधवाओं और परित्यक्ताओं को 200 रु. मासिक पेंशन दी गई थी। विधवा महिलाओं और विकलांगों को 200 रु. मासिक पेंशन के अलावा 10 किया गेहूं प्रतिमाह निःशुल्क दिया गया।निःशक्त विवाह पर 20 हजार रु., विधवा की पुत्रियों के विवाह पर 10 हजार रु. तथा बीपीएल परिवार की दलित कन्याओं के विवाह पर 5 हजार रु. की सहायता राशि की योजना अमल में लाई गई। बेहतर सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों की मासिक पेंशन 1,500 रु. से बढ़ाकर 2,000 रु. भी कर दी गई थी। महिला सशक्तिकरण को मजबूती देने के लिए न्यूरोसर्जरी साथिनों का मानदेय भी सरकार ने बढ़ाया गया था। प्रति जोड़ा अनुदान राशि भी 1,000 रु. से बढ़ाकर 5,000 रु. की गई थी।

उदयपुर गोगुन्दा सड़क की चट्टानों को काटकर सड़क निर्माण कर यात्रियो की दूरी को कम करने का श्रेय तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जाता है।सायरा से उदयपुर जाने के लिए तीन घन्टे का समय लगता था।आज यह दूरी एक घन्टे में तय कर दी जाती है।पहले पहाड़ो पर वाहन चलते थे।अब सड़के समतल हो गई है। पर्यटकों की पसंद राजस्थान ने पर्यटन बढ़ाने के लिए व्यापक योजना बनाई गई। राजस्थान दिवस, विरासत दिवस और दशहरा उत्सव की शुरुआत एक अभिनव प्रयोग था।नाथद्वारा मंदिर का विकास तिरुपति की तर्ज पर हुआ।इसके अलावा आमेर के पास हाथी गांव और जयपुर के करीब फिल्म सिटी बनाने की भी योजना अमल में आई। वर्ष 2004 में राज्य में 9.72 लाख विदेशी पर्यटक और 160.34 लाख स्वदेशी पर्यटक आए, जो 2003 में आए विदेशी पर्यटकों की तुलना में 54.60 प्रतिशत व स्वदेशी पर्यटकों की तुलना में 27.81 प्रतिशत बढ़े।

                             

                                 कांतिलाल मांडोत

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